स्वास्थ्य डेस्क । जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से लिवर को स्वस्थ रखने के लिए पीयें मुलेठी की चाय
साधारण चाय में मुलेठी पाउडर डालकर बनाएं।
बाइल जूस के स्राव में मुलेठी होती है असरदार।
लिवर के फ्री रेडिकल डैमेज को कम करती है।
अगर आप चाय पीने के शौकीन है तो साधारण व ग्रीन टी छोड़कर मुलेठी की चाय पीना शुरू करें। मुलेठी आपके लिए बड़े काम की चीज है। यह जरूरी नहीं है कि आप बीमार हों तभी मुलेठी का सवेन कर सकते हो। मुलेठी का प्रयोग हमेशा करते रहना चाहिए। लीवर की बीमारियों के इलाज के लिए मुलेठी का इस्तेमाल कई आयुर्वेदिक औषधियों में किया जाता है। मुलेठी के सेवन से लीवर काफी मजबूत होता है।
एक चुटकी मुलेठी के पाउडर को उबलते हुए पानी में डालें उसमे थोड़ी सी चायपत्ती डालें। 10 मिनट तक उबालें और छान लें। इसे सुबह गरमागरम ही पियें।या इसके इस्तेमाल के लिए मुलेठी की जड़ का पाउडर बनाकर इसे उबलते पानी में डालें। फिर ठंड़ा होने पर छान लें। इस चाय रुपी पानी को दिन में एक या दो बार पिएं। पानी में घुली हुई मुलेठी कार्बन टेट्राक्लोराइड से उत्पन्न टॉक्सिक के खिलाफ काफी असरदार है।
ग्लिसराइजिक एसिड के होने के कारण इसका स्वाद साधारण शक्कर से पचास गुना अधिक मीठा होता है। मुलेठी को इसके मीठे स्वाद और एंटी अल्सर एक्शन के लिए जाना जाती है। यह इंटरफेरॉन के बनने में भी मदद करती है जो कि एक प्रकार की इम्यून कोशिका होती है जो लीवर को बैक्टीरिया से बचाती है।
जो लोग नॉन एल्कोहालिक फैटी लिवर रोगों (जब लिवर में फैट की मात्रा बढ़ जाती है) जो पीड़ित होते हैं, उनके लीवर में ट्रांसएमाइनेज एंजाइम्स ALT और AST की मात्रा बढ़ जाती है। स्टडी के मुताबिक मुलेठी का सत्व इन एंजाइम्स की मात्रा को लिवर से कम करता है। इसलिए मुलेठी लिवर के लिए लाभप्रद है। लिवर से निकलने वाले बाइल जूस के स्राव में भी मुलेठी काफी असरदार होती है।
कीमोथेरेपी से लीवर को जो नुकसान पहुंचती है उसमें भी मुलेठी का सेवन लिवर को बचाने का काम करती है। यह लीवर के अंदर होने वाली फ्री रेडिकल डैमेज को कम करती है। यही कारण है कि डॉक्टर हेपाटाइटिस बी की बीमारी में मुलेठी खाने की सलाह देते हैं।
लीवर से जुड़ी बीमारियों से बचने के लिये मुलेठी की चाय का सेवन आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकती है।
आयुर्वेदिक औषधिया —— हिपेटाइटिस ( यकृत सोजश ) लिवर फैटी, साधारण पिलिया, काला पिलिया ।
- पुनर्नवा मन्डुर – 10 ग्राम
आरोग्यवर्धिनी बटी – 10 ग्राम
गिलोय सत्व – 10 ग्राम
प्रवाल पिष्टी – 05 ग्राम
विषमज्वरांतक लौह – 3 ग्राम
सबको खरल में पीस कर बराबर की 40 पुड़िया बना लें ।
एक पुड़िया सुबह – शाम शहद से खाली पेट ले ।
- कुमारिआसव – 15 एम एल
पुनर्नवारिष्ट – 15 एम एल
दोनो को मिलाकर बराबर पानी के साथ खाना खाने के बाद ले कम से कम 3 महीना ।