पुरषोत्तम चतुर्वेदी की रिपोर्ट
वारणसी। कान्हा ने एक गेंद के लिए अपनी जान जोखिम में डाल दी। जिस यमुना नदी में भयंकर कालिय नाग का वास है उसमें कूद पड़े। नदी के पानी में तेज हलचल होती है। आंखों में भय और चिंता का मिलाजुला भाव लिए यमुना किनारे मौजूद भक्तों की सांस अटकी सी है। चिंता की लकीरें आंखों को नम कर गयीं कि हो न हो कालिय नाग ने नटवर नागर को अपना ग्रास बना लिया है। तभी अचानक कालिय नाग के फन पर सवार होकर भगवान कृष्ण पानी से ऊपर आये और धरती से लेकर आकाश तक वृंदावन बिहारी लाल के जयघोष से गुंजित हो उठा। भगवान कृष्ण ने कालिय नाग का मान मर्दन कर दिया। बुधवार को दोपहर बाद गंगा का पावन तट तुलसी घाट भगवान कृष्ण की इस लीला का साक्षी बना। काशी के लक्खा मेले में सुमार विश्व प्रसिद्ध नाग नथैया लीला देखने के लिए भक्तों की भीड़ जुटी रही।कालिय का किया मान मर्दनश्रीकृष्णा लीला के दौरान गंगा यमुना बन गयीं। इसके तट पर भगवान कृष्ण अपने सखाओं के साथ गेंद खेल रहे थे कि अचानक गेंद पानी में चली गई। लेकिन यहां तो कालिय नाग का आतंक है। लेकिन गेंद तो बाहर लानी ही थी। प्रभु चुपचाप मुस्कुरा रहे थे। फिर अचानक ही भगवान कृष्ण कदम्ब के पेड़ की डाल से यमुना बनी गंगा की धार में कूद पड़े। थोड़ी ही देर में वे कालिया नाग के फन पर सवार बांसुरी बजाते प्रकट हुए। भगवान ने खेल-खेल में ही कालिय नाग के दंभ को चूर-चूर कर दिया। ढोल, घंटे, डमरू और शंख की गगन भेदी स्वरों से गंगा तट गुंजित हो उठा। जै कन्हैया लाल के गगनभेदी उद्घोष से स्वर्ग में बैठे देवताओं को भी इस बात की सूचना दे दी कि भगवान कृष्ण ने कालिय नाग पर विजय प्राप्त कर ली है।450 वर्ष से ज्यादा पुरानी परम्पराकोरोना महामारी के चलते सीमित लोगों की मौजूदगी में 450 वर्ष से ज्यादा पुरानी परंपरा का निर्वहन हुआ। अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास के महंत प्रो. विशम्भरनाथ नाथ मिश्र ने इस अवसर पर कहा कि आज जरूरत है कि जन-जन भगवान श्रीकृष्ण की भूमिका निभाए और जिस तरह भगवान श्री कृष्ण ने कालीया नाग को दाह कर यमुना को प्रदूषण मुक्त किया उसी तरह गंगा के प्रदूषण मुक्त करने लोग कदम आगे बढ़ाएं।कुंवर पहुंचे दर्शन कोतुलसी घाट पर पिछले साढ़े चार सौ सालों से चली आ रही परंपरा के क्रम में नाग नथैया लीला का आयोजन हुआ। प्रभु श्रीकृष्ण के दर्शन को कुंवर अनंत नारायण सिंह भी पहुंचे। जैसे ही रामनगर किले से उनका स्टीमर तुलसी घाट पहुंचा जनता ने हर हर महादेव के नारे से स्वागत किया। महंत प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र समस्त काशीवासियों की ओर से कुंवर अनंत नारायण सिंह को पुष्प अर्पित किया। कुंवर ने लीला पूरी होने पर भगवान को पुष्पों की माला अर्पित की।
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