-मौन संपर्क से पूर्व बांधा काला फीता
-शोक से गुस्से में दिखे व्यापारी
-17अक्टूबर को मौन संपर्क
ओबरा (सतीश चौबे) : उजड़ने के दंश से अब तक छह व्यापारियों की दुःखद मौत हो चुकी है। इसके बाद भी साहब सुख-चैन से हैं। गल्ला मंडी में गुरुवार की शाम व्यापारियों की मौत से चिंतित लोगों ने प्रशासन की संवेदनहीनता पर नाराजगी व्यक्त की और बांह पर काली पट्टी बांधकर विरोध व्यक्त किया।
व्यापारियों से विमर्श के बाद ओबरा बाजार बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक आचार्य प्रमोद चौबे ने कहा कि सरकारी सम्पत्ति को कुछ अधिकारियों ने प्राइवेट बना लिया है और उसी अनुरूप नियम-कानून व
संवेदनाओं को ताक पर रखकर फैसले ले रहे हैं। कुछ अधिकारियों की निष्ठा प्रदेश व देश में सत्तासीन दलों के विपरीत अन्य दलों से है। वे ओबरा नगर के अमन-चैन को बिगाड़ने की कोशिश में हैं। ऐसे अधिकारियों की वजह से भविष्य में टकराव की स्थिति आ सकती है, जिससे सरकार को केवल बदनामी हाथ लगेगी। कुछ अधिकारियों की मनमानी के चलते सभी अधिकारियों को जनता की जलालत झेलनी पड़ रही है। ऐसे साहब जिन्हें बिजली प्रबंधन में कम और खुद की सोच को जबरदस्ती क्रियान्वित करने की लालसा है, उन्हें स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति ले लेनी चाहिए। सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करे। इससे अच्छा है कि वे खुद का मान-सम्मान की सुरक्षा के लिए नौकरी का त्याग कर दें या केवल नौकरी करें, न कि समाज के ताना-बाना को नुकसान पहुंचाए। उजाड़े जाने के दंश से मौत के शिकार हुए व्यापारियों की पीड़ा की अनदेखी सरकार को नुकसान पहुँचा रही है। 17 अक्टूबर की सुबह आठ बजे से दस बजे तक संघर्ष समिति के सीमित प्रतिनिधि मुख्य मार्ग पर व्यापारियों की पीड़ा को तख्तियों पर लिखे सन्देशों को लेकर मौन सम्पर्क करेंगे। पूरी तरह से अहिंसात्मक आंदोलन को तथाकथित अधिकारी के कुत्सित इरादों को पूरा करने के लिए अनावश्यक व्यवधान डालने की कोशिश की गई तो स्थिति बिगड़ सकती है, जिसकी पूरी जिम्मेदारी अधिकारियों की होगी। गल्ला मंडी बैठक में सुशील कुशवाहा, रमेश सिंह यादव, रविन्द्र गर्ग, मिथिलेश अग्रहरि, भोला कनौजिया, इरशाद अहमद, विपिन कश्यप, अजीत कनौजिया, लालबाबू सोनकर, रामबाबू केसरी, मुस्लिम अंसारी, अमजद अहमद, रमाशंकर मिश्रा, शमशेर खान, गिरीश कुमार पांडेय, कौशर अली, दिलीप सिंह आदि मौजूद रहे। बता दें 17 अक्टूबर के मौन सम्पर्क में कोरोना 19 की पूरी गाइड लाइन का पालन किया जाएगा।