कृषि अपशिष्ट/ पराली प्रबंधन के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन

सोनभद्र। सहायक विकास अधिकारी (कृषि) ओंकार नाथ राय ने बताया की विगत कुछ वर्षों में विशेषकर धान एवं गेहूं की कंबाइन से कटाई मड़ाई होने के कारण अधिकांश क्षेत्रों में कृषकों द्वारा फसल अवशेष को जलाएं जाने की प्रवृत्ति रही है इसके कारण वातावरण प्रदूषित होने के साथ-साथ मिट्टी के पोषक तत्वों की अधिकतम क्षति होती है

साथ ही मिट्टी की भौतिक स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है इसके प्रबंधन के यंत्रो जैसे (सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम(सुपर एस0एम0एस0), हैप्पी सीडर, जीरो टिल सीड कम फर्टि लाइजर ड्रिल, श्रब मास्टर, पैड़ी स्ट्राचापर, श्रेडर, मल्चर, रोटरी स्लेशर, हाइड्रोलिक रिवर्सेबल एम0बी0 प्लाऊ, बेलिंग मशीन, स्ट्रा रेक, क्रॉप रीपर, रीपर कम बाइंडर) पर कृषि विभाग से दिनांक 14-10-2020 से टोकन जनरेट कर 50 प्रतिशत अनुदान का लाभ ले सकते है, और इन यंत्रो का उपयोग कर के खेत मे ही पराली को प्रबंधित कर सकते है। जिससे खेत मे उर्वरा शक्ति की अकल्पनीय बृद्धि होता है।
तकनीकी सहायक (कृषि) राकेश कुमार सिंह ने बताया की माननीय राष्ट्रीय हरित ट्रिब्यूनल, नई दिल्ली के द्वारा फसल अवशेष जलाने पर पर अर्थदंड का निर्धारण किया है। जिसमें कृषि भूमि का क्षेत्रफल 02 एकड़ से कम होने दशा में रु0 2500 प्रति घटना, कृषि भूमि का क्षेत्रफल 02 एकड़ से 05 एकड़ से कम होने पर रु0 5000 प्रतिघटना एवं 5 एकड़ से अधिक होने की दशा में अर्थदंड रु0 15000 प्रति घटना का प्रावधान है। पराली जलाने की घटना पाए जाने पर संबंधित को दंडित करने के संबंध में हरित अधिकरण अधिनयम की धारा 24 के अंतर्गत क्षतिपूर्ति की वसूली एवं धारा 26 के अंतर्गत उल्लंघन की पुनरावृत्ति होने पर संबंधित के विरुद्ध कारावास एवं अर्थदंड लगाए जाने के संबंध में कार्यवाही की जाएगी। साथ ही साथ कोई किसान बार बार इस कृत्य को करते हुए पाया जाता है तो उसे कृषि विभाग से मिलने वाली सभी सुविधाएं हमेसा के लिए बंद कर दी जाएगी। इस मौके पर क्षेत्रीय लेखपाल बेचू राम सिंह के साथ-साथ रमेश यादव (ग्राम प्रधान), दयाराम मौर्य (पूर्व प्रधान), चेतन दास उर्मिला देवी सुभाष मौर्य इत्यादि 35-40 कृषक उपस्थित थे।

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