रामजियावन गुप्ता/बीजपुर(सोनभद्र) रिहंद साहित्य मंच के साहित्यानुरागियों ने बुधवार को हर अजीज मशहूर अंतरराष्ट्रीय शायर राहत इंदौरी के आकस्मिक निधन पर उन्हें याद करते हुए शोक संवेदना प्रकट की। गूगल मीट पर आयोजित शोक सभा में श्रद्धांजलि व्यक्त करते हुए मंच के संरक्षक एवं प्रख्यात साहित्यकार डॉक्टर दिनेश दिनकर ने डॉ राहत इंदौरी से जुड़े अपने संस्मरण को साझा करते हुए कहा कि-‘ सुबह ही बोले कि दुआ कीजिए… जल्दी स्वस्थ हो जाऊं…. वाह मेरे भाई, क्या कर बैठे? तुम कभी नहीं मरोगे, काल तुम्हें नहीं मार सकता। तुम्हारी शायरी देश- प्रेम और मानवता की चेतना को हमेशा जगाती रहेगी। कविता की वाचिक परंपरा में तुम्हारी गजलों की अनुगूंजें प्रतिध्वनित होकर कुत्सित राजनीति, फिरकापरस्ती, मजहबी उन्माद, नफरत और शोषण की बुनियादें हिलाती रहेंगी। तुलसी, कबीर और रसखान की तरह तुम लोक जुबान पर चढ़कर नए हिंदुस्तान को गढ़ते रहोगे। अपनी कालजयी कृतियों नाराज, जब मैं मरुं, मेरे बाद, चांद पागल है और धूप बहुत है तथा अपने अंदाज-ए-बयां से अमर हो चुके राहत ! तुम्हें कौन भुला सकता है? तुम्हें भूलने का मतलब है- हिंदुस्तान की गंगा-जमुनी तहजीब और उसकी रवानी की मौत।’
संयुक्त सचिव नरसिंह यादव ने कहा कि राहत जी के निधन से आहत काव्य प्रेमी शोक सागर में डूब गए हैं। मंच से जुड़े प्रेस क्लब के कलम कारों ने उनके निधन को साहित्य जगत की अपूरणीय क्षति बताया। महासचिव मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि राहत जी किसी परिचय के मोहताज नहीं थे। उनकी शेरो शायरी और काव्य पाठ की असीम ऊर्जा तथा संदेश ही उनकी पहचान है। उनको सुनने और पढ़ने का मतलब अपने समय के संघर्षों को सुनना और पढ़ना है। एनटीपीसी रिहंद के मुशायरे के मंच पर उनके घंटो मोहक काव्य पाठ का मैं साक्षी रहा हूं। खुदा उनके परिवार जनों को इस आघात से उबरने की शक्ति बख़्शे, यही हमारी दुआ है। सदस्य डीएस त्रिपाठी ने कहा कि उनको सुनने और पढ़ने से जी नहीं भरता ।अपनी रचनाओं से वे अमर रहेंगे। लक्ष्मीनारायण पन्ना ने उनकी शायरी की कुछ लाइनों को स्मरण कराया तथा कमलेश कमल ने कहा कि उनकी पहचान भविष्य में एक ऐसे शायर के रूप में की जाएगी जिसने शायरी की बुनियाद में जीवन मूल्यों के मील के पत्थर डालकर मानवता की इबादत की। रूद्र देव दुबे ने उनके रिहंद आगमन के स्मृतियों को स्मरण कर श्रद्धांजलि अर्पित की।