नेशनल डॉक्टर्स डे पर सभी डॉक्टर्स के सम्मान में :– मिथिलेश श्रीवास्तव

नेशनल डॉक्टर्स डे पर सभी डॉक्टर्स के सम्मान में समर्पित विशेष रचना:

*” कर्म से तो भगवान हो”*

देखने में जो इंसान हो,
कर्म से तो भगवान हो।।

गर्भ से जीवन पर्यन्त,
करते तुम देखभाल हो,
वायरस का हो खतरा,
या प्रकृति की मार हो।
कोई बच्चा या हो युवा,
चाहे कोई बूढ़ा बीमार हो,
सबकी नजरों में तो तुम,
भगवान का अवतार हो।।
देखने में जो इंसान हो,
कर्म से तो भगवान हो।।

सांसों को हो तुम समझते,
धड़कनें महसूस करते हो,
रक्त की धमनियों से होकर,
दिल तक तुम पहुंचते हो।
जिसको खींच लाते हो तुम,
मौत के दरवाजे से वापस,
उसके लिए डॉक्टर नहीं,
भगवान का अवतार हो।।
देखने में जो इंसान हो,
कर्म से तो भगवान हो।।

हड्डियों की हो मरम्मत,
या ब्रेन का उपचार हो,
अंग-अंग की करते सर्जरी,
डॉक्टर नहीं भगवान हो।
आंखों में तुम लाते रोशनी,
सांसों की जोड़ते तार हो,
धरती पर तुम वरदान हो,
भगवान की अवतार हो।।
देखने में जो इंसान हो,
कर्म से तो भगवान हो।।

Translate »