संविदा विद्दुत कर्मियों ने विभाग के निजीकरण के विरुद्ध जताया विरोध विद्दुत अधीक्षण अभियंता को सौंपा ज्ञापन

चोपन/सोनभद्र (अरविन्द दुबे) विद्दुत संविदा मजदूर संग प्रदेश अध्यक्ष भोला सिंह कुशवाहा के नेतृत्व में विद्दुत कर्मियों ने अधीक्षण अभियंता विद्दुत वितरण मण्डल रावर्ट्सगज को सौंपा ज्ञापन विभागीय निजीकरण बिल पर जताया विरोध।
विद्युत मजदूर संगठन एवं विद्युत संविदा मजदूर संगठन द्वारा आज सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए इलेक्ट्रिक सिटी अमेंडमेंट बिल 2020 का मौन विरोध किया गया। इस मौन विरोध के सभी विद्युत कर्मियों ने मांग किया कि ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार द्वारा तैयार किया गया इलेक्ट्रिकसिटी अमेंडमेंट बिल 2020 वापस लिया जाय। विद्युत विभाग के नियमित कर्मचारियों व संविदा कर्मिको को कोरोना योद्धा घोषित किया जाय। इसके साथ ही संविदा कार्मिको को नियमित कर्मचारी के बराबर तथा संविदा श्रमिक को 18000 रुपए वेतन दिया जाय।
विगत 13 वर्षों से संविदाकर्मियों के ई0 पी0 एफ0 मद में कई गई कटौती के दस अरब रुपये की सीबीआई जांच कराई जाए एवं अलीगढ़ में वर्ष 2012 में दर्ज कराई गई रिपोर्ट पर दोषियों की गिरफ्तारी कराई जाए और फर्म से ई0पी0एफ0 धनराशि की वापसी कराकर संविदाकर्मियों की धन राशि वापसी कराकर संविदाकर्मियों को वापस कराई जाए
संविदाकर्मियों को नियमित कर्मचारी के बराबर एवं संविदा श्रमिक को न्यूनतम 18 हजार रुपए प्रतिमाह वेतन दिए जाएं जैसे अन्य कुछ विन्दुओ पे मांग की गई।
ज्ञापन दे रहे यूनियन के जिलाध्यक्ष कमला तिवारी ने कहा कि सरकार द्वारा लिए जा रहे फैसले निजीकरण के फलस्वरूप इससे पहले देश में सदैव पूंजीपतियों की जेबें ही लबालब भरी है आम जनमानस को हमेशा से ही इसके दुष्परिणाम देखने को मिले हैं व महँगी बिजली का दंश सीधे आम आदमी की रोजी रोटी पर पड़ता है साथ ही साथ मज़दूररो व संविदाकर्मियों का शोषण एक विकट समस्या व प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है।
साथ ही साथ यह माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समान नागरिकता व समान वेतनमान के सामाजिक ढांचे के आदेशों की भी सरासर अवहेलना करता है,,ऐसे में हम सभी कर्मियों ने निम्न बिंदुवार तरीके से नौ सूत्रीय अपनी मांगों को पटल पर सामने रखा है। इस मौके पर संजय कुमार गुप्ता,सुनील कुमार, मुस्ताक अली राजेश कुमार इत्यादि लोग मौजूद रहें।

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