धर्म डेक्स । जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से प्रमादी नामक नवसंवत्सर का फल एवं नवीन वर्ष में लाभ खर्च विवेक सारिणी……
कल्पादि से गत वर्ष 1972949121, सृष्टि संवत 19555885121, श्री विक्रम संवत 2077, शक संवत 1942-43 श्री कृष्ण जन्म संवत 5256, कलि संवत 5121, सप्तऋषि संवत 5096, श्री जैन महावीर निर्वाण संवत 2545-46, श्री बुद्ध संवत 2643-44 वर्षारम्भ 2077 विक्रम संवत में प्रमादी नामक संवत्सर प्रवेश हो रहा है।
राजा-बुध
मंत्री-चंद्र
सस्येश-गुरु
धान्येश-मंगल
मेघेश-सूर्य
रसेश-शनि
नीरसेश-गुरु
फलेश-सूर्य
धनेश-बुध
दुर्गेश-सूर्य
नवीन (प्रमादी) संवत्सर का फल
शास्त्र नियमानुसार नव संवत का प्रारंभ तथा राजा का निर्णय चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के वार अनुसार ही किया जाता है इस वर्ष बुधवार से नवसंवत प्रारंभ होने से आगामी वर्ष संवत का राजा भी बुध ही होगा राजा बुध होने से इनका वाहन सिंह होगा। इसलिए प्रचलित परंपरा अनुसार संवत आरंभ में विद्यमान संवत्सर को विक्रमी संवत आरंभ काल से संवत समाप्ति तक धार्मिक अनुष्ठान जप, पाठ, दान आदि, संकल्प कार्यों के आरंभ में प्रयोग किया जाएगा अर्थात प्रमादी नामक संवत का प्रयोग होगा धार्मिक कर्मकांडी विद्वान 25 मार्च 2020 से प्रमादी नामक संवत्सर का उच्चारण कर सकते हैं।
वर्ष लग्न प्रवेश कर्क राशि चर संज्ञक जल तत्त्व प्रधान तथा वर्षश लग्न प्रवेश तुला राशि चर संज्ञक तथा वायुतत्व वर्ग से चरितार्थ है। इन लग्न पतियों का स्थान न्यास वर्ष कुण्डली में नवम भाव तथा वर्षश कुण्डली में अष्टम् भाव एवं इनके स्वामी चंद्र और शुक्र हैं । दोनों लग्न हल्के एवं पाप दृष्ट है तथा केन्द्र स्थान भाव रचना प्रभावशील वर्ग की नहीं है।
तद्नुसार विश्व मण्डलीय राजनैतिक-प्रशासनिक-सामाजिक-आर्थिक
सम्पदा एवं उत्पत्ति-उत्पादन तथा औद्योगिक संवर्धन लाभांश हेतु एवमेव
अन्य जनकल्याण व्यावहारिक दृष्टिकोण से विशेष श्रीकार शुभ फल प्रदायक नहीं हैं। विगत वर्ष की अपेक्षा यह वर्ष राजनैतिक दृष्टिकोण से गरिमाशील एवं नवोदित रचना मंडल का परिचायक विदित नहीं होता है।
अभिनव गठबंधन का सूत्रपात तथा पदलोलुप-भ्रष्ट पथिक नेता नायकों का
उन्मूलन प्रतीत होवे। संसद सांसद विषयक नवीन आचार संहिता का श्री गणेश एवं न्यायपालिका विषयक भी आरोप-प्रत्यारोप की रूपरेखा बनाएंगे। आर्थिक सम्पदा-
मुद्रा कोष-बैंक संभाग दृष्टि से नवीन सूत्रों का निर्धारण तथा अर्थिक लेन-देन
व्यवहार जगत् में संशोधित नियामक का सूत्रपात। शिक्षा-स्वास्थ्य विषयक भी अनुसंधान बनाते लोक सुविधा का पक्ष प्रभावशील रहे। वर्षारम्भ में ही विश्व में महामारी आदि से अत्यंत जन हानि की सूचना प्राप्त होगी। देश देशांतर के राष्ट्रनायक सीमा संभाग-सुरक्षा दृष्टि से परस्पर विरोधाभास से ग्रसित बनें तथा विविध) अस्त्र -शस्त्र परमाणु परीक्षण आदि हेतु विशेष व्यय प्रभार से त्रासदी प्राप्त होगी। पश्चिमी देश संभाग में अशांति एवं स्वार्थ गति मति का चलन-कलन विशेष गतिमान तथा आतंक दमनात्मक रीति नीति चरितार्थ रहे।
यह नवीन विक्रम वर्ष श्री आनंद तथा श्री राक्षस नामकीय गणना से प्रभावशील है।
वर्षा उत्तम सर्व प्रकार का आनंद होवे, सुकाल बरसे चैत्र-वैशाख अन्न सस्ता, ज्येष्ठ आषाढ़ में वर्षा उत्तम, श्रावण में महावर्षा, भादों में अल्प वृष्टि, गेहूँ तेज, आश्विन मंदा, धातु तेज, घटा-बढ़ी, कार्तिक में अचानक भय, लोक में पीड़ा मार्गशीर्ष में दक्षिण में भय । पौष-माघ वृष्टि अन्न मंदा, फाल्गुन में तेजी। युद्ध मय वातावरण के चलते सभी
वस्तुओं में घटा-बढ़ी स्वतः ही बन पाए इसके साथ ही शीत ऋतु की फसलें
मौसम की मार से खराब होने जैसी ग्रह स्थितियां दीखती हैं। यहाँ फाल्गुन तथा
माघ में ओस, पाला, तुषार, बर्फ आदि का योग बन पाए।
1 राजा बुध का फल
सूत्रानुसार प्रतिफल यह कि अग्निवात संरचना-अग्नि से कार्यकारण गण, अग्रि से
अपघातशील, बन पार्वें। अगम्रि विस्फोट आगजनी कार्य क्रिया में अभिवृद्धि तथा तपन ताप परिताप वश भूमण्डल विशेषकर प्रभावी रहें । बिजली-प्रकाश विद्युत शक्ति उत्पादन में कमी एवं वितरण आपूर्ति में कमी बन पावें । अग्नि! विद्युत विस्फोट भूस्खलन आदि कार्य क्रिया की प्रसारणा
विशेष- कर बने । यातायात असुविधा, मार्ग अवरोध, यान अपहरण,दुर्घटना लूटपाट, चोरी, बंधक कार्य रचना डकेती, आतंकगति मति हिंसक मनोवृत्ति का
चलन कलन विशेषकर बने। राजनायक-जननेता-श्रमिक नेता-दलपति-
अधिशासी वर्ग में वैचारिक विषमता एवं वाद विवाद विग्रह की संरचना सहज
बन पावे । जन मानस अकल्पित आदि व्याधि से संक्रामक रोगादि से प्रपीड़ित रहेंगे। राष्ट्रीय सुख सम्पदा विकास में गतिरोध एवं कृषक समाज में असन्तोष तथा आन्दोलित केंद्र रचना का प्रारूप बन पावे। बुध वर्ष नायक प्रभाव से धान्य,
विस्फोट, पर्वत पतन-गुड़, छुहारा, सूत-कपास, तैलादि रस वर्ग, गुबार, अरण्डी, लाल मिर्च- काली मिर्च, मसूर, शक्कर आदि में उन्नत भाव एव इन विषयक कार्य व्यवसाय लाभद रहेगा।
2 मंत्री चंद्र का फल
वर्ष का प्रधानमंत्री पद भार अमृत रश्मि नायक चंद्रदेव को प्राप्त हुआ है। संहिता मेदिनी शास्त्रानुसार प्रतिफल यह कि महिला संसार स्त्री जगत को मनोत्साह वर्धक सुयोग तथा नारी महिला मण्डल
विकास उत्थान में सुगति, विविध क्षेत्र में वर्चस्व अनुकूल पद स्थान न्यास।
राजनैतिक, कार्य व्यावसायिक तथा न्यायपालिका, शिक्षा-शिक्षण, चिकित्सा आदि पदों पर महिला जगत को वर्चस्व प्राप्त होवे। साथ ही आरक्षण-आरक्षी विभाग में भी स्त्री वर्ग का योगदान बने। विविध स्त्री कल्याण विकास परियोजना में अनुपातिक अभिवृद्धि तथा शासकीय विविध पद सेवा क्षेत्र में रचनात्मक योगदान प्राप्त होवे । तथा राष्ट्रीय उत्पत्ति-उत्पादन
विकास हेतु शासकीय मनोवृत्ति विशेषकर सार्थक बरनें। वृक्षारोपण हरित तथा श्वेत क्रान्ति अभियान राष्ट्रीय स्तर पर चरितार्थ बनें। पशुधन विकास योजना पशुपालकों हेतु मनोत्साहवर्धक ऋण सुविधा सुयोग एवं दुग्ध उत्पादन विकास केंद्र परियोजनाओं में सार्थक अभिवृद्धि, साथ ही विभिन्न फल-फूलों के विकास उत्पादन में जन मानस की अभिरुचि विशेष कर रहेगी। कृषक कृषि वर्ग हेतु शासकीय सुविधा अनुदान का विस्तार, पृथ्वी पर अधिकाधिक बीज रोपन चरितार्थ होवे तथा कृषि अधीक्षक वर्ग द्वारा अभिनव वैज्ञानिक कृषि प्रणाली-सिंचाई कार्य रचना का ज्ञान-विज्ञान प्रसारित होवे। विविध राष्ट्रीय
युगीय समस्या के समाधान में अभिनव गति, संविधान परिभाषा में भी संशोधन बनते लोकतंत्र आरक्षण संरक्षण हेतु नवीन रचना दिशा निर्देश का सूत्रपात होगा। तथा राष्ट्रीय सीमा भूमि विवाद समाधान हेतु रचनात्मक गति एवं आतंकवाद हिंसक तत्व पर नियंत्रक हेतु विशेष सुदृढ़ नियामक बनते प्रतिफल श्रीकार सार्थक बन पाएगा।
3 सस्येश गुरु का फल
सस्येश धान्य विभाग क्रमशः खरीफ फसल
विषयक पदभार देव गुरु बृहस्पति को प्राप्त हैं तथा शीतकालीन रबी फसल
के अधिपति भूमिसुत मंगलदेव हैं। पूर्व खरीफ की साफ फसल सुखद, श्रम
अनुकूल लाभांश जीव-प्रजा के भाग्य से संप्राप्त होंवे। तथा शीतकालीन साफ फसल देश दिशा वातावरण के कारणों से कही कम कही अधिक रहेगी। कृषि कार्य
प्रसाधन वस्तु में तेजी का गतिक्रम, तथा विभिन्न धान्यादि के भाव भी उन्नत बनें।
4 धान्येश मंगल का फल
धान्येश भौम प्रभाव से ऋतुकोष-देवदोष
अग्निवात-भूमिवाद वैर कृमि कीट आदि से फसलों के उन्नत परिपाक में व्यवधान बनें।
5 मेघेश चंद्र का फल
मेघ पर्जन्यनायक पद का अधिभार अमृतरश्मि नायक चन्द्रदेव को प्राप्त बना है। मेदिनी संहिता शास्त्रानुसार यह सुयोग्द फल विधायक प्रारूप हैं। धरती पर बीज वपन सार्वत्रिक बने तथा सिंचाई क्षेत्रफल,
जलाशय-बांध-नहरो का माध्यम सुखद रहे। कृषि सम्पदा के विकास विस्तार हेतु विविध
कृषि महाविद्यालय अधीक्षणगण द्वारा समाधान सूत्र प्रचारित बनें। साथ ही शासकीय कृषि विभाग कृषक वर्ग सुविधा विकास उत्थान हेतु सार्थक क्रियाशील बन पावे। नवीन वैज्ञानिक कृषि प्रसाधनों की अभिवृद्धि एवं विद्युत समस्या समाधान में अभियन्तागण योगदान प्रदान करें।
6 रसेश शनि एवं नीरशेष गुरु का फल
रसेश नीरसेश पद विभाग क्रमशः शनिदेव को तथा सुरगुरु बृहस्पति को प्राप्त हैं। इस
विषयक फलाशय यह कि सुगंध वस्तु, गुगणल, इन्र, सेन्ट, अगरबत्ती, धूप आदि तथा गुड़ शक्कर, घी, तेल, कन्दमूल पदार्थ श्रम साध्य प्राप्त होवे, तथा इन विषयक कार्य व्यवसाय लाभद रहे एवं रस तरल पदार्थ डीजल, पेट्रोल, क्रूडऑयल, घासलेट, स्प्रिट, रसायन केमिकल के भाव उत्रत तेजी पर, तथा इनकी प्राप्ति यथायोग्य नहीं बन पावें तथा दाना मैंथी, तुवर, हल्दी, सरसों, चना दाल
आदि पीले रंग की वस्तु का उत्पत्ति-उत्पादन ठीक बनते इनका कार्य व्यवसाय लाभद अनुकूल धारक भी बने। कन्दमूल तथा अदरक, लहसन, प्याज, आलू आदि कन्दमूल पदार्थ की पैदावार
ठीक बनते लाभदायी रहे।
7 फलेश सूर्य का फल
फलनायक पदभार विश्वविबोधक सूर्यनारायण के हस्तगत बना है। संहिता वचन यह कि-
द्रुमवती फलपुष्पवती धरा प्रमुदिता फलभोग विरोधत: ॥
जनमानस में मनोत्साह वृद्धि कर्मठ गति बने, विविध फूल फलों का विकास, वृक्षारोपण हरित क्रान्ति रचना अभियान में जनमानस की मनोवृत्ति विशेष रहे। आयात-निर्यात गतिविधि से राष्ट्रीय आय लाभ कोष में अभिवृद्धि, खेल क्रीड़ा क्षेत्र मं भारतीय जनवर्ग की अभिरुचि विशेष तथा विश्व स्तर पर सुखद स्थान बन पावे। खट्टे अम्ल रस वाले फलों का उत्पादन विशेष तथा मधुर रसीय फलों का उत्पादन सामान्य-वर्ग का रहे। मेघ गर्जना पूर्वक, प्रवर्षण प्रदान करें, साथ ही कुछ
पूर्वोत्तर संभाग में सजल विशेष की रहे।
9 धनेश बुध का फल
गतिविधिधनाध्यक्ष पद का कार्य भार चन्द्रसुत बुधदेव को प्राप्त हुआ है, यह सुयोगद तथ्य हैं। व्यापार व्यवसाय उद्योग-धंधों का चलन कलन सुखद बनते, राष्ट्रीय अर्थतंत्र विकास हेतु प्रतिफल ठीक रहें। निर्धन व सघन उभय पक्षीय वर्ग हेतु
शासकीय सुविकसित आर्थिक नवयोजना का सूत्रपात फलित होवें, भू-सम्पदा तथा पूंजी विनियोजना हेतु अभिनव उदार आचार संहिता का श्री गणेश हो। अर्थशास्त्रियों द्वारा राष्ट्रीय व्यय भार
मुद्राकोष विश्व बैंक आदि द्वारा विविध जन-कल्याण प्रक्रिया में उदारमनसा अनुदान सहयोग की भूमिका चरितार्थ बने।
10 दुर्गेश सूर्य का फल
रक्षा विभाग जल थल नभ आणविक पद का कार्य प्रभार विश्व विबोधक सूर्यदेव के हस्तगत बना हैं। संहिता वचन यह कि-
समधिकेन तदा नृपतोन्यत:
पथिषु संव्रजतां न भयं कवचित् ।।
देश विदेश के राष्ट्र नायक विविध समस्या समाधान हेतु सक्रिय रचनात्मक भूमिका में गतिशील रह पावेंगे। विश्वशान्ति रचना सूत्रों में अभिवृद्धि, संयुक्त राष्ट्रसंघ व तत् सम शक्ति मंडल की रूपरेखा समुचित गतिमान होगी। अस्त्र -शस्त्र-युद्धोन्माद मनोवृत्ति में
न्यूनता तथा इस विषयक मनोवृत्ति वाले देश संभाग क्षतिग्रस्त बनें। साथ ही पदलोलुप नेता तथा दलपति का पलायन विनाश होकर, राष्ट्रीय सुरक्षा संरक्षा हेतु नवीन त्र का सूत्रपात बनेगा। अभिनव मार्ग विस्तार, यातायात सुविधा वृद्धि बनते, आतंकवाद-हिंसक गतिविधि निवारण हेतु
सेना आरक्षी विभाग सबलता प्राप्त करेगा। रोहिणी रमण परिचक्र विन्यास-यह वर्ष
लाभ खर्च विवेक गणना सारणी
अपनी राशि अनुसार लाभ खर्च दोनो अंको का जोड़ कर १ घटाए तथा ८ का भाग दें। यदि १ शेष रहे तो वर्ष में लाभ, २ में सुख शांति, ३ में क्लेश ४ में रोग-शोक, ५ में अपयश, ६ में मानद जीवन, ७ में विजय लाभ, तथा ८ या ० शेष रहने पर कुयोग जाने। इसमे विशेषकर अपनी जन्म/राशि/लग्न से गोचर दशा का चिंतन करना भी योग्य फल सूत्र समझना चाहिये।
सारणी
राशि लाभ खर्च
मेष 08 14
वृष 02 08
मिथुन 05 05
कर्क 14 02
सिंह 02 14
कन्या 05 05
तुला 02 08
वृश्चिक 08 14
धनु 11 05
मकर 14 14
कुम्भ 14 14
मीन 11 05