जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से अश्लेशा नक्षत्र के जातकों का गुण एवं स्वभाव……

धर्म डेक्स। जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से अश्लेशा नक्षत्र के जातकों का गुण एवं स्वभाव…...

नक्षत्र देवता: सर्प

नक्षत्र स्वामी: बुध

अश्लेशा नक्षत्र में जन्मे व्यक्तियों का प्राकृतिक गुण सांसारिक उन्नति में प्रयत्नशीलता, लज्जा व् सौदर्यौपसना है. इस नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति की आँखों एवं वचनों में विशेष आकर्षण होता है. लग्न स्वामी चन्द्रमा के होने के कारण ऐसे जातक उच्च श्रेणी के डॉक्टर , वैज्ञानिक या अनुसंधानकर्ता भी होते हैं क्योंकि चन्द्रमा औषधिपति हैं. इस नक्षत्र में जन्मे जातक बहुत चतुर बुद्धि के होते हैं. आप अक्सर जन्म स्थान से दूर ही रहते हैं. आपका वैवाहिक जीवन भी मधुर नहीं कहा जा सकता है. अश्लेशा नक्षत्र का स्वामी चन्द्र एवं नक्षत्र स्वामी बुध है. गंड नक्षत्र होने के कारण अश्लेशा का सर्पों से घनिष्ठ सम्बन्ध होता है.

अश्लेशा नक्षत्र में जन्मा व्यक्ति अक्सर अपने वचनों से मुकर जाता है. क्रोध आपकी नाक पर रहता है. किसी पर भी शीघ्र क्रोधित हो जाना आपके स्वभाव में होता है. बुध और चन्द्रमा में शत्रुता के कारण इस नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति की विचारधारा संकीर्ण होती है और मन स्तिथि कर्तव्यविमूढ़ बन जाती है. अश्लेशा नक्षत्र का व्यक्ति स्वभाव से धूर्त ,ईर्ष्यालु, शरारती, पाप कर्म करने से न हिचकने वाला होता है. ऐसा व्यक्ति किसी भी प्रकार के नियम या आचरण को नहीं मानने वाला होता है.

अश्लेशा जातक सदैव परकार्य सेवारत रहतें हैं. भाई की सेवा एवं नौकरी करना स्वाभाविक है. स्वतंत्र होने पर परोपकारी होते हैं.

अश्लेशा नक्षत्र में जन्मी स्त्रियाँ ऊँचे कद और सुन्दर परन्तु झगडालू प्रवृत्ति की होती हैं. यह सदा दूसरों का अहसान मानने वाली तथा उच्च कोटि की प्रेमिका साबित होती हैं. जिस से भी प्रेम करती है उसका साथ मरते दम तक निभाती हैं.

अश्लेशा के अंत में गंड है अतः व्यक्ति अल्पजीवी होता है, इसलिए अश्लेशा का विधि विधान से शांति करवाना आवश्यक होता है.

स्वभाव संकेत: जो उपकार पर उपकार करे वह अश्लेशा जातक हैं.

रोग संभावना :सर्दी, कफ, वायु रोग, पीलिया घुटनों का दर्द एवं विटामिन बी की कमी .

विशेषताएं

प्रथम चरण : इस चरण का स्वामी गुरु हैं. अश्लेशा नक्षत्र के प्रथम चरण में जन्मा व्यक्ति अत्यधिक धनि होता है,परन्तु आमदनी अनैतिक कार्यों से होती है. विदेशों में भाग्योदय एवं वृद्धावस्था में अंग भंग का खतरा रहता है. धार्मिक, राजनितिक और सामाजिक कार्यों में पूर्ण रूचि परन्तु सफलता के लिए अन्याय और असत्य का सहारा भी लेते हैं. सच्ची मित्रता में कतई विश्वास नहीं है.

द्वितीय चरण : इस चरण का स्वामी शनि हैं. अश्लेशा नक्षत्र के दूसरे चरण में जन्मा व्यक्ति धन एकत्रित करने में सदा असफल रहता है. पद प्रतिष्ठा में कोई कमी नहीं होती है परन्तु उसके हिसाब से धन प्राप्ति हेतु सारे प्रयत्न विफल होते हैं.

तृतीय चरण : इस चरण का स्वामी शनि हैं. अश्लेशा नक्षत्र के तीसरे चरण में जन्मा व्यक्ति धन एकत्रित करने में सदा असफल रहता है. पद प्रतिष्ठा में कोई कमी नहीं होती है परन्तु उसके हिसाब से धन प्राप्ति हेतु सरे प्रयत्न विफल होते हैं.

चतुर्थ चरण : इस चरण का स्वामी गुरु हैं. अश्लेशा नक्षत्र के चौथे चरण में जन्मे व्यक्ति की पद प्रतिष्ठा में कोई कमी नहीं होती है परन्तु धन का अभाव सदा रहता है.

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