रामपुर: नवाब की इस तिजोरी पर नहीं होगा बम का असर, अब तक नहीं तोड़ पाए कारीगर

रामपुर के आखिरी नवाब की संपत्ति का हो रहा आकलन

1774 में फैजुल्ला अली खान ने बसाया था रामपुर को
कोठी खासबाग में है नवाब का स्ट्रांग रूम

रामपुर। रियासत रामपुर (Rampur) के आखिरी नवाब रजा अली खान की संपत्ति खंगालने वाली टीम को 15 दिन बीत चुके हैं लेकिन उनकी सम्पत्ति की रिपोर्ट तैयार नहीं हो पाई है। इतना ही नहीं रामपुर के आखिरी नवाब का स्ट्रांगरूम भी अभी तक नहीं खुल पाया है। जो हथियार मिले हैं, उनकी अभी तक ठीक से गिनती भी नहीं हो पाई है।

*विलय के समय रखी थी यह शर्त

वर्ष 1774 में फैजुल्ला अली खान ने रामपुर को बसाया था। खुद, जनता और फौज के लिए उन्‍होंने कई इमारतें बनवाई थीं। आखिरी नवाब ने तमाम इमारतें उस समय सरकार को दे दी थीं जब उन्होंने अपनी रियासत को भारत (India) में शामिल कराया था। रामपुर के इतिहासकार बताते हैं कि जब नवाब ने अपनी रियासत का सरकार में विलय किया तो यह तय हुआ था कि उनकी निजी संपत्ति में सरकार का कोई दखल नहीं रहेगा। इस वजह से सरकार की तरफ से उनकी निजी संपत्ति में कोई भी दखल नहीं दिया गया। जबकि नवाब द्वारा दी गई संपत्ति में आज जिला कलेक्ट्रेट भी है। नगर के बीचों-बीच बनी हामिद मंजिल में एशिया की सुप्रसिद्ध रजा लाइब्रेरी है। दो दर्जन से ज्यादा स्कूल व कॉलेज आज भी नवाब की इमारतों में चलते हैं।

*कई हथियार मिल चुके हैं

अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश नवाब की निजी संपत्ति के बंटवारे की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। संपत्ति बंटवारे को लेकर जिला जज ने वकीलों की एक टीम बनाई है, जो उनकी संपत्ति की आकलन रिपोर्ट तैयार कर रही है। नवाब के निजी शस्त्रगाह की एक अलमारी खोली गई थी, उसमें तमाम बंदूकें, रिवॉल्वर, तलवारें और सोना-चांदी जड़े हथियार मिले थे। बाकी अलमारी अभी खुलनी बाकी हैं। वहीं, कोठी खासबाग में रामपुर के आखिरी नवाब का स्ट्रांग रूम इतना मजबूत है कि वह गैस कटर से नहीं कट रहा है। इसमें शाही खजाना रखा जाता था। इसकी चाभी गुम हो जाने के कारण इसको तोड़ना पड़ रहा है। इसे काटने में कारीगर करीब चार दिन से लगे हुए हैं लेकिन स्‍ट्रांग रूम की बाहरी दीवार की तीन परत ही काटी जा सकी है। अब स्ट्रांग रूम की धातु का सैंपल लैब भेजा गया है। रिपोर्ट के बाद पता चलेगा कि यह स्ट्रांग रूम किस धातु से बना था और कैसे कटेगा। फिलहाल स्ट्रांग रूम के बाहर पुलिस का कड़ा पहरा है।

1930 में हुआ था कोठी खासबाग का निर्माण

खजाने को रखने के लिए नवाब ने बहुत मजबूत ‘तिजोरी’ बनवाई थी। पूर्व सांसद एवं नवाब खानदान की बहू नूरबानो का कहना है कि उनके ससुर नवाब रजा अली खान के पिता हामिद अली खान ने वर्ष 1930 में कोठी खासबाग को बनवाया था। उस समय स्ट्रांग रूम बनाया गया था। इसे बनाने के लिए लंदन की कंपनी चब के इंजीनियर रामपुर में आए थे। स्‍ट्रांग रूम में जर्मनी की स्टील का प्रयोग किया गया है। उससे सेना के लिए टैंक बनाए जाते हैं। उनका दावा है कि स्ट्रांग रूम पर बमों का भी असर नहीं होगा।

*ये हैं खासियतें*

– बाहरी दीवार में चार गुना सात फुट का दरवाजा है।
– बाहरी दीवार की चौड़ाई व ऊंचाई करीब 20 गुना 20 फीट है।
– दीवार में 16-16 एमएम धातु की तीन परतें हैं।

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