धर्म डेक्स। जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से कुंडली और प्रेम विवाह…...
जन्म कुंडली का पंचम भाव प्रणय संबंध और सप्तम भाव विवाह से संबंधित होता है। शुक्र सप्तम भाव का कारक है। अत: जब पंचमेश, सप्तमेश और शुक्र का शुभ संयोग होता है तो दोनों में घनिष्ठ स्नेह होता है।
दोनों की राशियां एक दूसरे से समसप्तक हों या एक से अधिक ग्रह समसप्तक हों जैसे एक का चंद्रमा लग्न में तथा दूसरे का सप्तम भाव में हो।
दोनों के शुभ ग्रह समान भाव में हों अर्थात एक की कुंडली में शुभ ग्रह यदि लग्न, पंचम, नवम या केंद्र में हों तथा दूसरे के भी इन्हीं भावों में हों।
दोनों के लग्नेश और राशि स्वामी एक ही ग्रह हों। जैसे एक की राशि मीन हो और दूसरे की जन्म लग्न मीन होने पर दोनों का राशि स्वामी गुरु होगा।
दोनों के लग्नेश, राशि स्वामी या सप्तमेश समान भाव में या एक दूसरे के सम-सप्तक होने पर रिश्तों में प्रगाढ़ता प्रदान करेंगे।
दोनों की कुंडलियों के ग्रहों में समान दृष्टि संबंध हो। जैसे एक के गुरु चंद्र में दृष्टि संबंध हो तो दूसरे की कुंडली में भी यही ग्रह दृष्टि संबंध बनाएं।
सप्तम एवं नवम भाव में राशि परिवर्तन हो तो शादी के बाद भाग्योदय होता है। सप्तमेश ग्यारहवें या द्वितीय भाव में स्थित हो तथा नवमांश कुंडली में भी सप्तमेश 2, 5 या 11वें भाव में हो तो ऐसी ग्रह स्थिति वाले जीवन साथी से आर्थिक लाभ होता है।
उपरोक्त ग्रह स्थितियों में से जितनी अधिक ग्रह स्थितियां दोनों की कुंडलियों में पाई जाएंगी, उनमें उतना ही अधिक सामंजस्य होकर गृहस्थ जीवन सुखी रहेगा।
इसी प्रकार कुछ विषम ग्रह स्थितियां दाम्पत्य जीवन को दुखदायी बना सकती हैं। अत: ऐसी ग्रह स्थितियों में दोनों की कुंडलियों का मिलान कराने के बाद ही विवाह करें।
शनि, सूर्य, राहु, 12वें भाव का स्वामी (द्वादशेश) तथा राहु अधिष्ठित राशि का स्वामी (जैसे राहु मीन राशि में हो तो, मीन का स्वामी गुरु राहु अधिष्ठित राशि का स्वामी होगा) यह पांच ग्रह विच्छेदात्मक प्रवृति के होते हैं। इनमें से किन्हीं दो या अधिक ग्रहों का युति अथवा दृष्टि संबंध जन्म कुंडली के जिस भाव/भाव स्वामी से होता है तो उसे नुकसान पहुंचाते हैं। सप्तम भाव व उसके स्वामी को इन ग्रहों से प्रभावित करने पर दाम्पत्य में कटुता आती है। सप्तमेश जन्म लग्न से 6, 8, 12वें भाव में हो अथवा सप्तम भाव से 2, 6 या 12वें भाव में हो अथवा नीच, शत्रुक्षेत्रीय या अस्त हो तो वैवाहिक जीवन में तनाव पैदा होगा।
आइये जाने ज्योतिष शास्त्र के कुछ अचूक उपाय
संसार में बहुत से लोग हैं जिन्हे अपने जन्म समय, जन्म तिथि और जन्म स्थान के बारे में न तो पता है न ही उन्होंने कभी अपनी जन्मपत्रिका ही बनवाई है। ऐसी स्थिति में ज्योतिष विद्या मानव जीवन की अनेक समस्याओं का हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस के उपायों के द्वारा बेहद अचूक परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं।
धन प्राप्ति के उपाय
नमक को कभी भी खुले बर्तन में न रखे।
प्रतिदिन पीपल की जड़ में जल डालें।
अपने घर के प्रत्येक दरवाज़े के कब्ज़े में तेल लगाये ताकि उनमें से ‘चू चू’ की आवाज़ ना आये।
भोजन तैयार करते समय पहली रोटी गाय के लिए और आखिरी रोटी कुत्ते के लिए निकले।
जब भी अपनी बहन या बुआ को घर पर आमंत्रित करें तो उसे खाली हाथ न भेजें ।
जब भी घर का फ़र्श साफ़ करें तो उसमे थोड़ा सा नमक मिला लें।
धन के ठहराव के लिए उपाय
नोटों की गिनती कभी भी उँगलियों पर थूक लगा कर न करें।
कभी भी सूर्यास्त के बाद घर में झाड़ू न लगाये।
बुधवार के दिन किसी भी किन्नर को हैसियत दान दे कर उससे कुछ पैसे वापिस ले लें।
बुधवार को किसी को भी पैसे उधार न दें।
शीघ्र विवाह हेतु उपाय
हमेशा अपने से बड़े व्यक्तियों और बुज़ुर्गों का सम्मान करें।
जब भी आप स्नान करें तो उसमें थोड़ा सा हल्दी पाउडर मिला लें।
अगर हो सके तो अपने घर पर एक खरगोश पाले और हर बुधवार को उसे हरी घास खाने को दें।
नव-विवाहित व्यक्ति के पुराने वस्त्रों का उपयोग करें।
देवगुरु बृहस्पति का पूजन करें।
जब कभी भी आप के माता-पिता आपके लिए वर देखने जाएं उस दिन लाल वस्त्र धारण करें और उनके वापिस लौटने तक अपने बाल खुले रखें।
रात को सोने से पूर्व अपने सिर के पास आठ खजूर और प्रातःकाल उसे चलते पानी में बहा दें।
शनिवार की रात्रि चौराहे पर नया बंद ताला चाभी के साथ रख आयें।
सुखी विवाहित जीवन के लिए उपाय
अपने जीवन साथी को कम आय के लिए कभी भी ताने न मारें।
प्रतिदिन प्रातः केले और पीपल के पेड़ का पूजन करें।
हमेशा अपना मासिक वेतन अपनी पत्नी को दें और उससे कह दें कि इसका उपयोग करने से पहले एक बार इसे तिजोरी में रख ले।
अपनी पत्नी का सम्मान सदैव ‘लक्ष्मी’ की भाँति ही करें।
पति के भोजन करने के उपरान्त पत्नी को पति की जूठी थाली में से कुछ भोजन ग्रहण करना चाहिए।
बच्चों की शिक्षा सम्बन्धी कुछ उपाय
बच्चों को 11 तुलसी-पत्र के रस में मिश्री मिलाकर दें इससे उनकी एकाग्रता में वृद्धि होगी।
प्रतिदिन सूर्य भगवान को जल अर्पित करें।
प्रतिदिन 21 बार गायत्री मंत्र का उच्चारण करें।
विद्यार्थी अपने अध्ययन कक्ष में विद्या की देवी माँ सरस्वती का चित्र लगायें।
इमली की 22 पत्तियाँ लें उनमें से ११ पत्तियाँ सूर्य देवता को अर्पित कर दें और शेष अपनी पुस्तक में रख लें।
रात्रि सोने से पूर्व 11 बार “ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः” मंत्र का उच्चारण करें।
अपने अध्ययन कक्ष में हरे रंग के परदे लगायें।
स्वयं में विश्वास उत्पन्न करने के लिए उपाय
रविवार को लाल रंग के बैल को गुड़ खिलायें।
अपने घर के मंदिर में लाल रंग के बैल का खिलौना रखें।
प्रतिदिन अपने दांत फिटकरी पाउडर से साफ़ करें।
शक्कर मिश्रित जल सूर्य भगवान को अर्पित करें।
रोगों से छुटकारा पाने हेतु उपाय
दवाइयाँ शुरु करने से पहले उन्हें कुछ समय के लिए शिव मंदिर में रख दें।
अपनी शयन करने की चारपाई के चारों पाँवों में चांदी की कील लगायें।
जब भी जल पिएं उसमे थोड़ा सा गंगा जल दाल लें।
प्रतिदिन प्रातः हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करें।
अपने बुरे कर्मों के पिता परमेश्वर से क्षमा याचना करें।
व्यवसाय में वृद्धि हेतु उपचार
एक लाल रंग के कपड़े में थोड़ा सा लाल चन्दन पाउडर बांधे और उसे अपनी तिजोरी में रखें।
अपने व्यवसाय में अपनी पत्नी को हिस्सेदार बनाये।
आप अपने पहले ग्राहक से जो भी धनराशि कमाते हैं उसमें से कुछ धनराशि किसी जरूरतमंद को अवश्य दान करें।
प्रातः अपने घर से आप जब व्यवसाय वाले स्थान पर जाने के लिए निकले तो रास्ते में कही और न रुक कर सीधा अपने व्यवसाय वाले स्थान पर ही जाएं ।
नौकरी प्राप्त करने हेतु उपाय
“ॐ श्रीं श्रीं क्री ग्लो गं गणपतये वर वरदाय मम नमः” इस मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जप करें।
रोजगार हेतु साक्षात्कार के लिए जाते समय एक चम्मच दही-शक्कर खा कर जाएँ।
साक्षात्कार के लिए घर से निकलते समय पहले दाहिना पैर बाहर निकालें और अपने परिवा र के सदस्य से आपके ऊपर से साबुत मूंग घुमा कर बाहर फैंकने के लिए कहें।
जब भी साक्षात्कार के लिये जायें तो जो भी मंदिर पहले आप के रास्ते में आये वहां पर नारियल चढ़ाये।
शीघ्र नौकरी प्राप्त करने के लिए शनि सम्बन्धी कुछ उपाय करें।
कर्ज़ से छुटकारा पाने हेतु उपाय…
अपने घर और व्यवसाय के स्थान का मध्य स्थान खाली और साफ़ रखें।
अपने घर में ख़राब हुई वस्तुएँ जैसे बिजली का ख़राब सामान, ख़राब घड़ियाँ और अन्य ख़राब सामान न रखें।
अपने ऋण के बारें में बार-बार बात न करें।
अपने घर के गंदे जल का निकास उत्तर पूर्व की ओर रखें।
अपने कर्मचारियों का ध्यान रखे और सम्मान करें।
रविवार को प्रातः नदी में नारियल विसर्जित करें।