धर्म डेक्स। जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से क्यों लेते है 7 फेरे ……
कहा जाता है कि हमारे शरीर में भी सात केंद्र पाए जाते हैं. यदि हम योग की दृष्टि से देखें तो मानव शरीर में ऊर्जा व शक्ति के सात केंद्र होते हैं जिन्हें चक्र कहा जाता है.
विवाह के दौरान यज्ञ और संस्कार के वातावरण में इन सात फेरों में सातवें पद या परिक्रमा में वर-वधू एक-दूसरे से कहते हैं हम दोनों अब परस्पर सखा बन गए हैं.
*7 फेरे ही क्यों ?*
विवाह के दौरान लिए जाने वाले सात फेरों की हिंदू धर्म में बहुत मान्यता है.
लेकिन यहां गौर करने का विषय यह है कि विवाह में वर-वधू सात फेरे ही क्यों लेते हैं? क्या इसकी संख्या इससे ज्यादा या कम भी हो सकती है?
यह तो आपने देखा या सुना ही होगा कि जब तक सात फेरे पूरे नहीं हो जाते, तब तक विवाह संस्कार पूरा हुआ नहीं माना जाता.
भारतीय संस्कृति के अनुसार यह सात अंक बहुए महत्वपूर्ण है.
सालों से ही सात अंक की संख्या मानव जीवन के लिए बहुत विशिष्ट मानी गई है.
भारतीय संस्कार में विवाह से लेकर लोक-परलोक तक फैला है सात अंक का महत्व.
यदि हम नजर घुमा कर देखें तो सूर्य प्रकाश में रंगों की संख्या भी सात
यदि संगीत की बात करें तो इसमें भी स्वरों की संख्या सात है: सा, रे, गा, मा, प , ध, नि.
पृथ्वी के समान ही लोकों की संख्या भी सात है: भू, भु:, स्व: मह:, जन, तप और सत्य.
सिर्फ पृथ्वी ही क्यों लोक-परलोक में भी गाया जाता हैं सात अंक की महत्ता का गुणगान.
दुनिया में सात तरह के पाताल: अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल, रसातल और पाताल हैं.
द्वीपों तथा समुद्रों की संख्या भी मिलकर सात हो जाती है.
प्रमुख पदार्थ भी सात ही हैं: गोरोचन, चंदन, स्वर्ण, शंख, मृदंग, दर्पण और मणि जो कि शुद्ध माने जाते हैं.
मानव से संबंधित प्रमुख क्रियाएं भी सात ही हैं जैसे कि शौच, मुखशुद्धि, स्नान, ध्यान, भोजन, भजन तथा निद्रा.
पूज्यनीय जनों की संख्या भी सात ही है: ईश्वर, गुरु, माता, पिता, सूर्य, अग्रि तथा अतिथि.
इंसानी बुराइयों की संख्या भी सात है: ईर्ष्या, क्रोध, मोह, द्वेष, लोभ, घृणा तथा कुविचार. वेदों के अनुसार सात तरह के स्नान भी होते हैं: मंत्र स्नान, भौम स्नान, अग्रि स्नान, वायव्य स्नान, दिव्य स्नान, करुण स्नान, और मानसिक स्नान.
दुनिया के हर एक कोने व हर एक विषय में बसे हुए इस सात अंक के महत्व को देखते हुए ही ऋषि-मुनियों ने विवाह की रस्म को सात फेरों में बांधा है.
सात अंक के महत्व ने भारतीय विवाह में सात फेरों का चलन किया है. यह तो मान्य है कि हिन्दू धर्म में सात फेरों के बाद ही शादी को पूर्ण माना जाता है. यदि एक भी फेरा कम हो तो वह शादी अपूर्ण है.
विवाह के दौरान सात फेरों में दूल्हा व दुल्हन दोनों से सात वचन लिए जाते हैं.
यह सात फेरे ही पति-पत्नी के रिश्ते को सात जन्मों तक बांधते हैं. विवाह के अंतर्गत वर-वधू अग्नि को साक्षी मानकर इसकी परिक्रमा करते हैं व एक-दूसरे को सुख से जीवन बिताने के लिए वचन देते हैं. विवाह में निभाई जाने वाली इस प्रक्रिया को सप्तपदी भी कहा जाता है.
वर-वधू द्वारा निभाए गए इन सातों फेरों में सात वचन भी होते हैं. हर फेरे का एक वचन होता है और हर एक वचन का अपना अर्थ व मान्यता है. इन वचनों में पति-पत्नी जीवनभर साथ निभाने का वादा करते हैं. यह सात फेरे ही हिन्दू विवाह की स्थिरता का मुख्य स्तंभ होते हैं.