धर्म डेक्स । जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से ये है हनुमान जी के लाल लंगोट के पीछे कुछ रहस्य……

शास्त्रों में कुछ ऐसी चीजें हैं जिनका संबंध बहुत गुप्त तरीके से ग्रहों को ठीक करने के लिए पुरातन काल से हो रहा है।
अमुमन: आपने देखा होगी की जो लोग पहलवान होते हैं वो मूलत: लाल रंग का लंगोट पहनते हैं। इसका सीधा-सीधा संबंध है व्यक्ति के शारीरिक बल और उसकी निष्ठा से जुड़े रहना।
वाल्मीकि रामायण से लेकर रामचरितमानस से जुड़े सभी काव्यों में हनुमान जी को सदा लाल लंगोट पहने दिखाया गया है।
हनुमान जी की लाल लंगोट के पीछे कुछ गहरे रहस्य छिपे हैं जिनका संबंध न केवल ब्रह्मचर्य पालन से होता है अपितु लाल लंगोट व्यक्ति की मानसिक स्थिरता और शारीरिक बल को ठीक रखने में सहायक है।
ज्योतिष शास्त्र के कालपुरूष सिद्धांत के उनुसार कुण्डली का सातवां भाव व्यक्ति के जननांगों और जीवनसाथी पर अपना अधिपत्य रखता है।
सातवें भाव का नैसर्गिक स्वामी मूलत: शुक्र कहलाता है। जो भोग विलासिता और कामुकता के स्वामी हैं।
शुक्र का कुण्डली में बिगड़ना व्यक्ति के लैंगिक रिलेशनशिप और लैंगिक संबंधों में कमजोरी और वीर्य स्खलन के लिए जिमेदार होता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुक्र की मलीनता को मात्र मंगल द्वारा ही ठीक किया जा सकता है अर्थात सांतवें भाव पर मंगल को स्थापित कर दिया जाए।
लाल लंगोट अथवा लाल अंडरवियर पर मंगल का अधिपत्य होता है जिसको पहनने से शुक्र की मलीनता दूर होती है।
व्यक्ति का मन कामुकता से हटकर ब्रह्मचार्य की और अग्रसर होता है और व्यक्ति के शारीरिक बल में अत्यधिक बड़त होती है। लाल लंगोट को हनुमान जी पर अर्पण करने से संसारिक संबंध सुधरते हैं।
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