समर जायसवाल –
दुद्धी-जहां समाज में फैली कुरीतियों को देख लोग कहने पर विवश हो जाते हैं कि घोर कलयुग आ गया है। वही समाज में कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो अपने सत्कर्मो से लोगों को इंसानियत का पाठ भी पढ़ा जाते है। यही समाज में हर तरह के व्यक्ति रहते है सब अपने व अपनो के लिए ही जीते है पर जो गरीब,असहाय ,मजलूमो के लिए जिए उसका समाज में एक अलग दर्जा बन जाता है। सामाजिक कार्यकर्ता बनने के लिए तो हर व्यक्ति प्रयत्नशील रहता है।परंतु किसी असहाय जरूरतमंद व्यक्तियों की जरूरत को पूरा करने के समय वह पीछे होने लगता है। यह सामाजिकता नहीं उसके मतलबपरस्तता को दर्शाता है। जो सिर्फ स्वार्थ सिद्धि के लिए होता है इंसान के अंदर जब इंसानियत जगता है तो उसे बिना स्वार्थ के कार्य करने की प्रेरणा मिल जाती है। कुछ ऐसा ही सोनभद्र के सबसे अंतिम छोर पर बसा हुआ दुद्धी नगर में देखने को मिला। कस्बा में पिछले 30 वर्षों से रह रही एक विछिप्त महिला जिसका नाम लोलो था।आज सुबह उसका निधन हो गया। उक्त महिला का कोई नही था। इसके बाद भी सामाजिक कार्यकर्ता पूर्व चेयरमैन कमल कुमार कानू व पुलिस प्रशासन के लोग पूरी रीति रिवाज के साथ कनहर नदी पर उक्त विक्षिप्त महिला का दाह संस्कार कर्म किया। बताते चलें कि लकड़ी की व्यवस्था नगरपंचायत दुद्धी की ओर से किया गया था। पूर्व चेयरमैन कमल कुमार कानू विगत 1992 से इस क्षेत्र में लावारिस या जिसका कोई न हो उक्त सभी का दाह संस्कार कर्म अपने व कुछ लोग के साथ
मिलकर करते चले आ रहे हैं।इस कार्य का लोग उनकी भूरी भूरी प्रशंसा करते हैं। और कहते हैं कि जहां लोग अपनो का सेवा भाव नहीं कर पाते हैं वही बिना किसी भेदभाव के उनका सहयोग और कार्य करना यह बहुत ही पुण्य का काम है। जब पूर्व चेयरमैन से वार्ता की गई तो उन्होंने बताया कि नर सेवा नारायण सेवा से प्रेरणा मिली जिसके कारण विगत वर्षों से यह सब काम करते चले आ रहे हैं। यह महिला विगत 2 महीनों से बीमार पड़ी हुई थी। जिसका इलाज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र दुद्धी में करा रहे थे तथा सुबह शाम खाना नाश्ता तथा उसकी साफ-सफाई मेरे द्वारा की जा रही थी। आज अचानक सुबह उसकी मौत हो गई जिसका आज का संस्कार कराया गया।उक्त विछिप्त महिला के दाह संस्कार के समय कोतवाली पुलिस के एस आई लाल बहादुर मैं हमराहीओं के साथ वहां मौजूद रहे।