अशोक सिंघल की चौथी पुण्यतिथि मनाई गई

सोनभद्र।विश्व हिन्दू परिषद डाला प्रखंड के कार्यकर्ताओं द्वारा स्व. अशोक सिंघल की चौथी पुण्यतिथि रविवार की शाम तेलगुडवा स्थित एक सभागार में मनाई गई। यह कार्यक्रम नगर अध्यक्ष नीरज द्विवेदी कि अध्यक्षता में आयोजित हुआ।

विहिप के काशी प्रांत सत्संग प्रमुख नरसिंह त्रिपाठी ने अशोक सिंघल की तस्वीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। तत्पश्चात अन्य कार्यकर्ताओं ने पुष्प चढ़ाकर श्रद्धांजलि दी।
इस दौरान काशी सत्संग प्रमुख श्री त्रिपाठी ने सिंघल जी की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनका जन्म अश्विन कृष्ण पक्ष पंचमी तदनुसार 27 सितंबर 1926 को आगरा उत्तर प्रदेश में हुआ था सात भाई और एक बहन में वे चौथे स्थान पर थे मूलतः इनका परिवार अलीगढ़ जिले के बिजौली ग्राम का निवासी था उनके पिता श्री महावीरजी शासकीय सेवा में उच्च पद पर थे सिंघल जी बाल्यकाल से ही संतो और विद्वानों के सानिध्य के कारण आध्यात्मिक प्रवृत्ति के थे तथा हिंदू धर्म के प्रति उनकी अपार श्रद्धा थी सन 1942 में प्रयागराज में शिक्षा काल के दौरान संघ के पूर्व सरसंघचालक प्रोफ़ेसर रज्जू भैया ने उन्हें स्वयंसेवक बनाया सन 1947 में देश के विभाजन के समय कांग्रेसी नेता सत्ता पाने की खुशियां मना रहे थे किंतु देशभक्तों का मन इस पीड़ा से सुलग रहा था नेताओं के हाथ में देश का भविष्य कैसा होगा अशोक सिंघल जी भी उन्हीं में से एक थे इस वातावरण को बदलने के लिए उन्होंने अपना जीवन संघ को समर्पित कर दिया सिंघल जी की अभिरुचि शास्त्रीय संगीत में थी संघ के सैकड़ों गीतों का लय स्वर उन्होंने ही बनाया था सन 1950 में वे संघ के प्रचारक बने गोरखपुर प्रयाग सहारनपुर कानपुर में प्रचारक के नाते कार्य किए तथा 1977 में दिल्ली प्रांत के प्रांत प्रचारक बने सन 1981 में डॉ करण सिंह के नेतृत्व में विराट हिंदू सम्मेलन दिल्ली में हुआ जिसके पीछे अशोक सिंघल जी के द्वारा किया गया कड़ा परिश्रम रहा उसी के बाद उन्हें विश्व हिंदू परिषद की जिम्मेदारी दे दी गई एकात्मता रथ यात्रा ,वेद विद्यालय, राम जानकी रथ यात्रा ,श्रीराम शिला पूजन, राम ज्योति आदि कार्यक्रमों के माध्यम से विश्व हिंदू परिषद का नाम देश ही नहीं विश्व के कोने कोने तक पहुंचाने में सिंघल जी की विशेष भूमिका रही परिषद के काम का विस्तार करते हुए बजरंग दल धर्म प्रसार गाय गंगा सेवा वेद विद्यालय एकल विद्यालय मातृशक्ति दुर्गा वाहिनी जैसे अनेक विश्व हिंदू परिषद के आयाम अशोक सिंघल जी ने तैयार किए संतो को संगठित करना बहुत कठिन होता है पर सिंघल जी की विनम्रता से सभी पक्षों के लाखों संत अयोध्या जन्मभूमि के आंदोलन में विश्व हिंदू परिषद से जुड़ गए उनकी संगठन और नेतृत्व क्षमता का ही परिणाम था की युवकों ने 6 दिसंबर 1992 को राष्ट्रीय कलंक के प्रतीक बाबरी ढांचे को गिरा दिया था।इसके बाद काफी समय से अस्वस्थता के चलते 17 नवंबर 2015 को उनका निधन हो गया।आशावादी दृष्टिकोण से सदा काम को आगे बढ़ाने की बात करने वाले श्रद्धेय सिंघल जी कि सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी जब अयोध्या में विश्वभर के हिंदुओं की आकांक्षा के अनुरूप श्री राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण होगा।इस दौरान रामनरायन गौड़,गंगासागर,गोविन्द, विक्की, सोनु तिवारी,मुनीष सिंह चंकी, आकाश,बसंत सिंह,आदि मौजूद रहे।

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