भविष्य निधि घोटाले में फंसी रकम के भुगतान की गारंटी के लिए प्रदेशभर के इंजीनियर 14 नवंबर को लखनऊ में जुटेंगे

कर्मचारी संघो ने पीएफ घोटाले के मुख्य आरोपी पावर कारपोरेशन के पूर्व चेयरमैन को सेवा से बर्खास्त कर तत्काल गिरफ्तार करने की मांग।

आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) की टीम एमडी फाइनेंस पीके गुप्ता के बेटे अभिनव से भी पूछताछ कर रही है।

सूत्रों को माने तो 14 ब्रोकर फर्मो के जरिये डीएचएफएल में भविष्य निधि की रकम निवेश किए जाने की बात सामने आई थी।

लखनऊ।उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन (यूपीपीसीएल) में हुए 4500 कर्मचारियों के 4122 करोड़ रुपया भविष्य निधि (पीएफ) घोटाले की जांच जारी है। जहा एक तरफ
उत्तर प्रदेश के विभिन्न सरकारी विभागों/सार्वजनिक उपक्रमों के कई कर्मचारी संघों ने आज एक संयुक्त बैठक कर पीएफ घोटाले के विरोध में चल रहे उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारियों के आन्दोलन को पूर्ण समर्थन देने का ऐलान किया है। कर्मचारी संघों ने बिजली कर्मचारियों के 14 नवम्बर को होने वाली रैली में भी राज्य कर्मचारियों से बड़ी संख्या में सम्मिलित होने की अपील की है।
कर्मचारी संघों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि उप्र सरकार प्राविडेन्ट फण्ड घोटाले की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए ऊर्जा क्षेत्र के कर्मचारियों के पीएफ के भुगतान की जिम्मेदारी ले और इस सम्बन्ध में आवश्यक गजट नोटिफिकेशन जारी कर बिजली कर्मचारियों को आश्वस्त करें। कर्मचारी संघो ने पीएफ घोटाले के मुख्य आरोपी पावर कारपोरेशन के पूर्व चेयरमैन को सेवा से बर्खास्त कर तत्काल गिरफ्तार करने की मांग की है। कर्मचारी संघों ने मुख्यमंत्री की घोषणा के 12 दिन बाद भी सीबीआई जांच न प्रारम्भ किये जाने और घोटाले पर पर्दा डालने की कोशिशों पर गहरी नाराजगी व्यक्त की है।
संयुक्त बैठक में उप्र राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष कमलेश मिश्र, उप्र इंजीनियर्स ऐसोसिएशन के अध्यक्ष सुरजीत सिंह निरंजन, यूपी फेडरेशन आॅफ मिनिस्टीरियल सर्विस ऐसोसिएशन के अध्यक्ष नरेन्द्र प्रताप सिंह, सुपरवाइजर ऐसोसिएशन बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग की प्रांतीय अध्यक्ष रेनू शुक्ला, उप्र जल निगम समन्वय समिति के संयोजक वाई एन उपाध्याय, उप्र जल निगम इंजीनियर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डीपी मिश्रा एवं उप्र जल निगम इंजीनियर्स एसोसिएशन के सचिव नौशाद अहमद मुख्यतः उपस्थित थे।

उप्र जल निगम इंजीनियर्स एसोसिएशनएक ओर भविष्य निधि केवल कर्मचारी ही नहीं, उसके पूरे परिवार के भविष्य का सहारा है। इसलिए बिजली इंजीनियर अपनी भविष्य निधि के भुगतान की गारंटी के लिए 14 नवंबर को पत्नी व बच्चों के साथ लखनऊ की सड़कों पर रैली निकालेंगे। अनुसूचित जाति के इंजीनियरों ने भी इसी दिन रैली निकालकर विरोध प्रदर्शन का निर्णय लिया है।

भविष्य निधि घोटाले में फंसी हजारों करोड़ रुपये की रकम बिजलीकर्मियों को परेशान कर रही है। भुगतान की गारंटी की मांग को लेकर इंजीनियरों व कर्मचारियों के गुटों ने आंदोलन का एलान कर दिया है। पावर कारपोरेशन के पूर्व चेयरमैन को बर्खास्त कर गिरफ्तार करने और भुगतान की गारंटी दिए जाने की दो सूत्रीय मांग को लेकर विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने पहले ही 14 नवंबर को लखनऊ में रैली का एलान कर रखा है।संघर्ष समिति ने कहा कि घोटाले के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार पावर कारपोरेशन के पूर्व चैयरमैन आलोक कुमार ज़िम्मेदार है जिनके कार्यकाल में रुपये 4200 करोड़ का दागी कंपनी डी एच एफ एल को ढाई साल तक भुगतान किया जाता रहा। संघर्ष समिति ने कहा कि आलोक कुमार द्वारा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को लिखा गया पत्र एक प्रकार से सारे घोटाले की स्वीकारोक्ति है।
संघर्ष समिति की मांग है कि घोटाले के आरोपी पूर्व चेयरमैन आलोक कुमार को बर्खास्त कर तत्काल गिरफ्तार किया जाए और प्रदेश सरकार गजट नोटिफिकेशन जारी कर प्रोविडेंट फण्ड के भुगतान की ज़िम्मेदारी ले।
संघर्ष समिति के प्रमुख पदाधिकारियों शैलेन्द्र दुबे,राजीव सिंह,गिरीश पाण्डे, सदरूद्दीन राना, सुहेल आबिद,शशिकांत श्रीवास्तव, विपिन प्रकाश वर्मा,डी के मिश्र,महेंद्र राय,पी एन तिवारी,अमिताभ सिन्हा,मो इलियास,पी एन राय, करतार प्रसाद,परशुराम,कुलेन्द्र सिंह,ए के श्रीवास्तव, आर एस वर्मा,भगवान मिश्र,पूसे लाल,पी एस बाजपेई ने पूर्ब में जारी बयान में कहा कि प्रोविडेन्ट फण्ड के भुगतान हेतु तत्काल गजट नोटिफिकेशन जारी किया जाना आवश्यक है जिससे ऊर्जा निगमों में स्थिति सामान्य हो सके।

पावर ऑफीसर्स एसोसिएशन की प्रांतीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि भविष्य निधि घोटाले में फंसी रकम के भुगतान की गारंटी के लिए प्रदेशभर के इंजीनियर 14 नवंबर को लखनऊ में जुटेंगे, प्रदर्शन करेंगे और रैली निकालेंगे। वर्मा ने कहा कि नोटीफिकेशन के लिए सात दिनों का समय दिया गया था, लेकिन सरकार की चुप्पी बता रही है कि वह इसे लेकर गंभीर नहीं है। पदाधिकारियों ने कहा कि बिजली कंपनियों का 51 फीसद शेयर सरकार के पास है, इसलिए सरकार को गारंटी लेनी चाहिए।

संघर्ष समिति ने सवाल किया कि 84 हजार करोड़ रूप से अधिक के कर्ज में डूबी दागी कम्पनी डीएचएफएल किस बूते बिजली कर्मचारियों के भुगतान की गारण्टी ले रही है। उल्लेखनीय है कि डीएचएफएल से भुगतान पर बाम्बे हाईकोर्ट ने पहले ही रोक लगा रखी है। इसके अतिरिक्त पावर कारपोरेशन के पूर्व चेयरमैन ने डीएचएफएल से भुगतान कराने हेतु तीन दिन पूर्व रिजर्व बैंक आफ इंडिया को पत्र लिखा है जिससे स्पष्ट है कि पावर कारपोरेशन को खुद भरोसा नहीं है कि डीएचएफएल से पैसा वापस लिया जा सकता है। संघर्ष समिति ने कहा कि एकमात्र रास्ता यही है कि उत्तर प्रदेश सरकार जिम्मेदारी लेते हुए गजट नोटिफिकेशन जारी कर, प्राविडेन्ट फण्ड का भुगतान सुनिश्चित करे।
संघर्ष समिति ने पूर्व चेयरमैन के कार्यकाल में ढाई साल तक ट्रस्ट की कोई मीटिंग न होने के बावजूद दागी कम्पनी को 4122 करोड़ रूपये के भुगतान पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि इस अवैध लेन-देन की सारी जिम्मेदारी पूर्व चेयरमैन की है। उन्होंने यह भी कहा कि पता चला है कि ईपीएफओ ने पूर्व चेयरमैन को ट्रस्ट के घोटाले के बावत नोटिस पर नोटिस दी किन्तु उन्होंने इसका कोई जवाब देना तो दूर रहा वे दागी कम्पनी को भुगतान करते रहे। ऐसे में सारे घोटाले का सच जानने हेतु घोटाले के सबसे अधिक जिम्मेदार, पूर्व चेयरमैन को सेवा से बर्खास्त कर तत्काल गिरफ्तार किया जाये।

बिजलीकर्मियों के भविष्य निधि का पैसा लौटाने के लिए डीएचएफएल ने बॉम्बे हाईकोर्ट से अनुमति मांगी है। एक याचिका पर अंतरिम जवाब दाखिल करते हुए डीएचएफएल ने कहा कि नेशनल हाउसिंग बैंक के निर्देशों के मुताबिक सार्वजनिक जमा पर भुगतान किया जाना जरूरी है, इसलिए उसे अनुमति दी जानी चाहिए। डीएचएफएल ने एफडी की परिपक्वता पर भुगतान के लिए 11 नवंबर को हाईकोर्ट में शपथपत्र दिया था।

सूत्रों को माने तो जांच टीम ने यूपीपीसीएल पीएफ घोटाला:पी के गुप्ता के बेटे ने की दलाली

एमडी फाइनेंस पीके गुप्ता के बेटे अभिनव से भी पूछताछ कर रही है।

आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) की टीम एमडी फाइनेंस पीके गुप्ता के बेटे अभिनव से भी पूछताछ कर रही है। अभिनव को हिरासत में लेकर आर्थिक अपराध शाखा पूछताछ कर रही है, लेकिन उसकी गिरफ्तारी नहीं हुई है।

अभिनव गुप्ता को ईओडब्ल्यू की टीम ने हिरासत में लिया था। इसके बाद से ही उससे लगातार पूछताछ की जा रही है। अभिनव के जरिए ही यूपीपीसीएल का पैसा डीएचएफएल में लगाया गया था। अभिनव गुप्ता और यूपीपीसीएल के दस्तावेजों की जांच की जा रही है।

सूत्रों का कहना है कि अभिनव ने पूछताछ में उन फर्मो से जुड़े कई राज भी उगले हैं, जिनकी सिलसिलेवार पड़ताल कराई जा रही है। सूत्रों का कहना है कि पुलिस का दबाव बढ़ने पर अभिनव ने ईओडब्ल्यू के अधिकारियों से संपर्क किया था।

गौरतलब है कि 14 ब्रोकर फर्मो के जरिये डीएचएफएल में भविष्य निधि की रकम निवेश किए जाने की बात सामने आई थी। ईओडब्ल्यू उन सभी फर्मो के बारे में छानबीन कर रही है और बैंकों की भी मदद ली जा रही है। धांधली में शामिल नौ ब्रोकर फर्मो के पते अब तक फर्जी निकल चुके हैं।

ब्रोकर फर्मो से अभिनव का सीधा संपर्क सामने आया है। सूत्रों का कहना है कि मोटा कमीशन तय कर ब्रोकर फर्मे अभिनव के जरिये ही पावर कारपोरेशन के तत्कालीन सचिव ट्रस्ट पीके गुप्ता व अन्य अधिकारियों तक पहुंची थीं।

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