सोनभद्र। जनपद मुख्यालय रावर्ट्सगंज के पूरब मोहाल में स्थित सातो शीतला माता के मंदिर का धार्मिक महत्व है, इस मंदिर पर जनपद के साथ-साथ पूर्वांचल एवं जनपद के सीमावर्ती राज्य बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि इलाकों से भक्तजन अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए आते हैं और मां सातों शीतला का विशेष प्रकार से पूजा अनुष्ठान संपन्न कराते हैं इस मंदिर पर नवरात्र में काफी संख्या में भक्तजन दर्शन, पूजन, अर्चन के लिए आते हैं और नवरात्रि की सप्तमी, अष्टमी, नवमी को यहां विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है ।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सातो शीतला को मां शीतला का स्वरूप अथवा शीतला माता की बहन माना जाता है सातों शीतला मंदिर नगर में एक ही है और इस मंदिर का निर्माण सन 1974 में लल्लू साहू कोयला वाले के पुत्र मोहनलाल गुप्ता एवं दुलारी देवी की पुत्र वधू स्वर्गीय सुखदेई देवी द्वारा इस मंदिर का निर्माण कराया गया निर्माणकर्ता की हार्दिक इच्छा थी कि मंदिर में सभी देवी- देवताओं का वास हो इसके तहत पहले सातो शीतला देवी की स्थापना मुख्य मूर्ति के रूप में कराई गई तत्पश्चात मंदिर परिसर के अंदर दोनों तरफ भगवान की मूर्ति लगाई गई है ससे पहले दाई तरफ भगवान शिव पार्वती नंदी बाबा के साथ तो बाई तरफ हनुमान जी विराजमान है,लक्ष्मी नारायण, राधा कृष्ण महाकाली, शिव, दुर्गा जी, सरस्वती जी, संतोषी माता, सहित 22 देवी- देवताओं की मूर्ति स्थापित है, एक मंदिर पर इतनी देवी देवताओं की मूर्तियों की स्थापना अपने आप में मंदिर के निर्माता का अनूठा प्रयास था, इस मंदिर परिसर में अवस्थित नीम के पेड़ का अत्यधिक महत्व है, भक्त मंदिर पर पूजा अर्चना के पूर्व नीम के पेड़ की पूजा करते हैं और नीम के पेड़ में मां शीतला का वास माना जाता है और नवरात्र में पूजा पाठ के साथ- साथ खटोला, सिंगार की सामग्री इत्यादि चढ़ाकर मां को प्रसन्न करते हैं।
माता के दर्शन को आये श्रद्धालु ने बताया कि यहां पर जो भी मन्नतें मांगते है वह पुरी होती है यहां पर दूर दूर से दर्शन को आते है इसी विश्वास के साथ आते है कि मन्नते पूरी होंगी । मन्नते पूरी होने पर लोग माता के दर्शन करते है नारियल चुनरी घंटा घड़ियाल बांधते है
वही महाराष्ट्र के नागपुर से आई श्रद्धालु ने बताया कि वह पहली बार यहां आयी है माता के महात्म्य के बारे में सुना था आज दर्शन भी मिल गया ।
माता के दर्शन को आई श्रद्धालु रूबी गुप्ता ने बताया कि इस मंदिर का निर्माण उनके पूर्वजो के द्वारा कराया गया था इसकी महत्ता अपरम्पार है मैं भी माता से अपने घर वर के लिए मन्नत मांगने आयी हूँ । माता के चमत्कार बहुत है । सातों शीतला माता के पूजा, पाठ, सिंगार के साथ-साथ स्थानीय महिलाओं द्वारा ढोलक की थाप पर मां का पचरा, भक्ति गीत इत्यादि गाती है। और कलाकार मां के दरबार में अपनी कलात्मक प्रस्तुति देकर मां का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं