धर्म डेस्क।हर साल सावन माह की शुक्ल पंचमी को नाग पंचमी मनाई जाती है। इस दिन सभी नागदेवता की पूजा करते हैं। सभी जानते हैं कि नागदेवता भगवान शिव के गले में विराजमान होता है। हर साल की तरह इस साल भी यह पर्व मनाया जाएगा जो 5 अगस्त यानि कि कल मनाया जाएगा। सोमवार के दिन नागपंचमी के होने से 20 साल बाद शुभ संयोग बन रहा है जिस दिन नागदेवता के साथ-साथ भोलेनाथ की भी असीम कृपा होगी। आज हम आपको कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए नागपंचमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त बताएंगे-
पूजा का शुभ मुहूर्त-
सुबह 06:22 से 10:49 पूर्वाह्न तक। सर्वार्थ योग।
नांग पंचमी पूजा विधि-
नागों को अपने जटाजूट तथा गले में धारण करने के कारण ही भगवान शिव को काल का देवता कहा गया है। इस दिन गृह-द्वार के दोनों तरफ गाय के गोबर से सर्पाकृति बनाकर अथवा सर्प का चित्र लगाकर उन्हें घी, दूध, जल अर्पित करना चाहिए। इसके पश्चात दही, दूर्वा, धूप, दीप एवं नीलकंठी, बेलपत्र और मदार-धतूरा के पुष्प से विधिवत पूजन करें। फिर नागदेव को धान का लावा, गेहूँ और दूध का भोग लगाना चाहिए।
पूजन-मन्त्र-
अगस्तश्च् पुलसतश्च् सर्वनागमेव च मम कुले रक्षाय नाग देवाय नमो नम:।।
महत्व-
नाग-पूजन से पद्म-तक्षक जैसे नागगण संतुष्ट होते हैं तथा पूजन कर्ता को सात कुल (वंश) तक नाग-भय नहीं होता। नाग पूजा से सांसारिक दुःखों से मुक्ति तथा विद्या, बुद्धि, बल एवं चातुर्य की प्राप्ति होती है। सर्प-दंश का भय तो समाप्त होता ही है, साथ ही जन्म-कुंडली में स्थित “कालसर्प योग” की शान्ति भी होती है।