ड्रंकन ड्राइविंग केस:SC का फैसला-पब्लिक रोड पर कार भी पब्लिक प्लेस

नई दिल्ली ।

सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश के मुताबिक अगर पब्लिक रोड पर कोई अपनी प्राइवेट कार में जा रहा हो, तो उस कार को भी पब्लिक प्लेस ही माना जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्राइवेट कार में लोगों की पहुंच नहीं हो सकती, क्योंकि ये प्राइवेट गाड़ी में बैठे लोगों का अधिकार है. लेकिन पब्लिक रोड पर चलने वाली प्राइवेट गाड़ी पब्लिक प्लेस है. इसलिए पब्लिक प्लेस में किसी¥ कानून को तोड़ने के लिए गाड़ी चलाने वाले के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
कोर्ट ने बिहार के एक मामले में शराब पीकर गाड़ी में चलाने पर पुलिस की कार्रवाई को सही मानते हुए ये फैसला सुनाया।

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच ने ये आदेश पटना हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दाखिल अर्जी पर सुनवाई के दौरान दिया. याचिकाकर्ता ने बिहार के एक्साइज ऐक्ट के प्रावधान को चुनौती दी थी. इस कानून के तहत याचिकाकर्ता के खिलाफ संज्ञान लिया गया था, जिसे खारिज करने की मांग पटना हाई कोर्ट ने ठुकरा दी थी. इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने आया।

★ क्या है मामला?

याचिकाकर्ता कुछ लोगों के साथ 25 जून, 2016 को पटना से झारखंड के गिरडीह जा रहे थे. बिहार के नवादा जिले में एक पुलिस चौकी पर उनका वाहन चेकिंग के लिए रोका गया. ब्रीद एनलाइजर टेस्ट में पाया गया कि वे नशे में थे. हालांकि उनकी कार में शराब की कोई बोतल बरामद नहीं हुई थी. पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था. दो दिन जेल में रहने के बाद वे बाहर आए थे. उन लोगों ने मैजिस्ट्रेट के आदेश को पटना हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. पटना हाई कोर्ट ने मैजिस्ट्रेट के आदेश को दरकिनार करने की मांग संबंधी उनकी अर्जी खारिज कर दी।

मैजिस्ट्रेट ने शराब पीकर गाड़ी चलाने के लिए बिहार आबकारी (संशोधन) अधिनियम, 2016 के तहत दंडनीय अपराध के तौर पर संज्ञान में लिया था. बिहार में शराबबंदी कानून लागू है।

★ फैसले में क्या कहा कोर्ट ने

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अपने फैसले में कहा, “हमें यह ध्यान रखना होगा कि सार्वजनिक सड़क पर आने पर अपीलकर्ताओं के निजी वाहन को रोक दिया गया था. जब निजी वाहन सार्वजनिक सड़क से गुजर रहा होता है तो यह स्वीकार नहीं किया जा सकता है कि पब्लिक के पास निजी वाहन तक कोई पहुंच नहीं है. यह सच है कि पब्लिक प्राइवेट गाड़ी के अंदर नहीं पहुंच सकते, क्योंकि ये प्राइवेट गाड़ी के मालिक का अधिकार है. लेकिन निश्चित तौर पर पब्लिक के पास प्राइवेट वाहन को अप्रोच करने का अवसर होता है, जब वो वाहन पब्लिक रोड पर हो.”
कोर्ट ने आगे कहा, “इसलिए, हम अपीलकर्ताओं की उस बात को नहीं मान सकते, जिसमें उन्होंने कहा है कि जिस गाड़ी में वे सफर कर रहे थे, वो ‘पब्लिक प्लेस’ की परिभाषा के मुताबिक बिहार आबकारी (संशोधन) अधिनियम, 2016 की धारा 2 (17 A) में परिभाषित नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का मतलब है कि पब्लिक प्लेस पर प्राइवेट वाहन के अंदर बैठकर स्मोकिंग और ड्रिंकिंग करना अवैध है।

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