सोनभद्र।स्वराज अभियान की राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने प्रेसवार्ता कर बताया कि लोकतांत्रिक आंदोलन के उभार का केन्द्र होगा जनपद सोनभद्र, मिर्जापुर, चंदौली और
राबर्ट्सगंज संसदीय क्षेत्र । इस उभार की अगुवाई
अपनी विशिष्ट सामाजिक, सांस्कृतिक, भौगोलिक स्थिति के साथ दलित आंदोलन की रेडिकल धारा के प्रतिनिधि डा0 अम्बेडकर के सच्चे अनुयाई एस. आर. दारापुरी के लडने से राबर्ट्सगंज संसदीय क्षेत्र देश के कुछ विशिष्ट संसदीय क्षेत्रों में आता है।आइपीएफ के प्रत्यासी दारापुरी को देशभर की लोकतांत्रिक शक्तियों जैसे स्वराज इंडिया का इन्हें सक्रिय समर्थन है
क्षेत्रीय मुद्दों के इर्द-गिर्द ही यहां हमारी चुनावी राजनीति केन्द्रित है ।
दलित-आदिवासी व वनाश्रित बाहुल्य सोनभद्र, मिर्जापुर और चंदौली को आरएसएस अपनी प्रयोगस्थली के बतौर विकसित करना चाहता है, वह नागरिक अधिकार आंदोलन और राजनीतिक असहमति को दबा देना चाहता है। इसीलिए वह नागरिक, राजनीतिक आंदोलन का प्रशासन के माध्यम से दमन करने पर आमादा है, इस चुनाव में इसका प्रतिकार किया जायेगा। यह क्षेत्र सावरकर विचार का केन्द्र नहीं बन पायेगा। उसके फासीवादी सांस्कृतिक, राजनीतिक अभियान का जन संस्कृति और लोकप्रिय लोकतांत्रिक आंदोलन से मुकाबला करना होगा। हमें विश्वास है कि सोनभद्र, मिर्जापुर और चंदौली लोकतांत्रिक आंदोलन का केन्द्र बनेगा और राबर्ट्सगंज संसदीय क्षेत्र इसकी अगुवाई करेगा। यह बातें आज स्वराज इंडिया कार्यालय पर स्वराज इंडिया समर्थित आइपीएफ प्रत्याशी पूर्व आई0 जी0 एस. आर. दारापुरी के समर्थन में आयोजित पत्रकार वार्ता में स्वराज अभियान की राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने कहीं। उन्होंने कहा कि अपनी विशिष्ट सामाजिक, सांस्कृतिक, भौगोलिक स्थिति के साथ दलित आंदोलन की रेडिकल धारा के प्रतिनिधि डा0 अम्बेडकर के सच्चे अनुयायी एस. आर. दारापुरी के चुनाव लड़ने से राबर्ट्सगंज संसदीय क्षेत्र देश के कुछ विशिष्ट संसदीय क्षेत्रों में आता है। दारापुरी जी को देशभर की लोकतांत्रिक शक्तियों जैसे स्वराज इंडिया का सक्रिय समर्थन इन्हें प्राप्त है। उन्होंने चुनाव में सभी अम्बेडकरवादियों से चाहे वह किसी भी राजनीतिक धारा में हो एस.आर. दारापुरी का समर्थन करने की अपील की। उन्होंने कहा कि हम यह लोकसभा चुनाव यहां के क्षेत्रीय मुद्दों पर लड़ रहे हैं। इस क्षेत्र में शांति स्थापित करने और जनता को अधिकार दिलाने का काम हमारे आंदोलन ने किया है। इस चुनाव का हमारा मुद्दा आदिवासियों को वनाधिकार के तहत जमीन पर अधिकार, कोल को आदिवासी का दर्जा, ठेका मजदूरों की पक्की नौकरी व प्रबंधन में हिस्सेदारी, शुद्ध पेयजल, शिक्षा, स्वास्थ्य और बेहतर पर्यावरण, मनरेगा में 150 दिन काम, स्थानीय निवासियों को उद्योगों में रोजगार, विकसित खेती और खेती आधारित उद्योगों की स्थापना, खनन को स्थानीय निवासियों की सहकारी समिति को देना है। भाजपा गठबंधन के अपना दल और सपा के मौजूदा प्रत्याशी तो पूर्व में सांसद रहे हैं और इन्होंने सांसद रहते यहां के किसी सवाल को हल नहीं किया यहां तक कि कोल जाति जिससे वह आते हैं उसके आदिवासी दर्जे के लिए संसद में बोले तक नहीं। ऐसे लोगों ने दलित आदिवासी आंदोलन को बेहद नुकसान पहुंचाया है और अभी भी नुकसान कर रहे हैं। इनसे सचेत रहने और इन्हें इस चुनाव में शिकस्त देने की जरूरत है।
राष्ट्रीय राजनीति पर बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि आरएसएस और उसकी भाजपा सरकार ने देश के सामने बड़ा खतरा पैदा कर दिया है इसलिए इसे हराना जरूरी है लेकिन इसके लिए किसी गठबंधन या महागठबंधन का हिस्सा बनना आवश्यक नहीं है। आज के दौर में भाजपा, कांग्रेस और अन्य क्षेत्रीय दलों को एक समान मानना गलत है इसलिए सबको समान मानकर प्रत्याशियों के विरूद्ध नोटा का उपयोग उचित नहीं है क्योंकि नोटा का उपयोग फासीवाद विरोधी लड़ाई को कमजोर करता है।
पत्रकार वार्ता में राबर्ट्सगंज लोकसभा प्रत्याशी पूर्व आई0 जी0 एस. आर. दारापुरी, स्वराज अभियान के नेता दिनकर कपूर, युवा मंच के संयोजक राजेश सचान, मुरता प्रधान डा0 चंद्रदेव गोंड़, रामनारायन, संतोष गौतम, रामेश्वर प्रसाद, मनोज भारती आदि भी उपस्थित रहे।
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