माँ वैष्णो शक्तिपीठ डाला में लगी भक्तों भीड़,यहां होती है हर मुराद पूरी

सोनभद्र । जिले में आदि शक्ति  प्रसिद्ध मंदिरों में एक मां वैष्णो शक्तिपीठ मंदिर का स्थान विशिष्ट है। यह मन्दिर वाराणसी – शक्तिनगर मुख्य मार्ग पर बारी में स्थित है।

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कब हुई स्थापना 

वर्ष  2004 में जम्मू स्थित कटरा से मां वैष्णो की अखंड ज्योति एक सप्ताह में लाई गयी और शारदीय नवरात्र में मां जगदम्बा के सभी विग्रहों का प्राण प्रतिष्ठा किया गया था। जम्मू से लायी गयी अखंड ज्योति आज तक अनवरत प्रज्ज्वलित हो  रही है। मुख्य मार्ग पर होने की वजह से इस मन्दिर की प्रसिद्धि जिले से सटे राज्यो बिहार , झारखंड, छतीसगढ़ व मध्यप्रदेश तक फैल गयी और यहां बारहों महीने श्रद्धालु  का आना जाना लगा रहता है।

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यह है मान्यता

 इस मंदिर की यह मान्यता है कि सच्चे मन से मांगी गयी हर मुराद मां जरूर पूरा करती हैं। यहां रामनवमी में लाखों की संख्या में भक्त दर्शन करने दूरदराज से आते हैं।

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मंदिर की वास्तुकला

मां वैष्णो शक्तिपीठ धाम मंदिर के निर्माण में वास्तुकला का विशेष ध्यान रखा गया है। उड़ीसा प्रांत से आरकेटेक आरके परेरा द्वारा मंदिर का निर्माण किया गया है। एक बीघा में निर्मित मंदिर तीन मंजिला गुफा वाला है। गुफा का निर्माण प्रवेश द्वार से लेकर 725 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है। वास्तुकला के हिसाब से मंदिर के बीचोबीच मां वैष्णो देवी हैं। प्रथम तल पर माता महालक्ष्मी, द्वितीय तल पर माता नवदुर्ग स्थित हैं। इसके साथ ही भगवान शंकर, वीर हनुमान, भैरो बाबा, माता गायत्री व ब्रह्मा जी स्थापित हैं।

क्या है इतिहास

मां वैष्णो शक्तिपीठ धाम की स्थापना का इतिहास एक आश्चर्यजनक घटना पर आधारित है। वर्ष 2001 में चोपन निवासी मदनलाल गर्ग अपने घर से कार द्वारा डाला के बारी क्षेत्र में स्थित क्रशर प्लांट पर आ रहे थे कि अचानक उनकी कार वाराणसी-शक्तिनगर मार्ग पर सामने से आ रही ट्रक में जा घुसा। दुर्घटना जबर्दस्त थी जिसे देखकर लोग बड़ी घटना की आशंका व्यक्त कर रहे थे। घंटों प्रयास के बाद जब ट्रक के अन्दर से कार निकाला गया और कार खोलने पर वे बिल्कुल सुरक्षित निकलने। यह घटना देख लोग आश्चर्यचकित हो गये। उसी समय उनके मुंह से मां वैष्णो का नाम निकला और सभी लोगों ने मंदिर निर्माण कराये जाने की ठान ली।मन्दिर के स्थापना के समय वाराणसी – शक्तिनगर मार्ग पर आए दिन बड़ी दुर्घटनाये होती थी जिसकी वजह से इस मार्ग को किलर रोड का उपनाम मिला था।  दुर्घटना वाले स्थान के ठीक सामने ही जम्मू से अखंड ज्योति लाकर भव्य मंदिर का निर्माण हुआ, जिसके निर्माण में सवा तीन वर्ष का समय लगा।

क्या है विशेषता

यह क्षेत्र पूरा सुनसान इलाका था, जिसके चारों तरफ जंगल था। इतने बड़े मंदिर निर्माण की कल्पना लोगों की नहीं थी। जब मंदिर का निर्माण शुरू हुआ तो मां की असीम कृपा से पैसा आता गया और मंदिर निर्माण का कार्य बढ़ता गया। मंदिर निर्माण के लिए कभी पैसों की कमी नहीं हुई। जिस दिन जम्मू से अखंड ज्योति नवनिर्मित मंदिर में लाई गयी तो अचानक मौसम बदल गया और एकाएक तेज हवा, बादलों की गरज के साथ घनघोर बारिश हुई, जिससे लोगों को एहसास हुआ कि वास्तव में कोई शक्ति का पदार्पण मंदिर में हुआ है। मंदिर के अंदर की गुफा का बनावट बिलकुल प्राकृतिक लगता है। जगह-जगह जंगल और जंगली जानवर हाथी, बाघ ,चीता, लंगूर, बंदर, भालू, सांप का प्रतिरूप निर्मित है जो देखने से मन खुशी से भर जाता है।

क्या कहते है पुजारी 

मन्दिर के पंडित श्रीकांत तिवारी और प्रधान पुजारी ने बताया कि डाला-बारी में स्थित मां वैष्णो शक्तिपीठ धाम में तो हर रोज दूरदराज से भक्त दर्शन-पूजन के लिए आते हैं। यहां पर माता आदिशक्ति के नव रूपो की विशेष पूजा की जाती है।नवरात्रि समेत अन्य अवसरों पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते जाते हैं और मन चाहीं मुराद मां उन सबकी पूरा करती है। दिनोंदिन भक्तों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। मनोकामना पूरा होने के लिए मंदिर के प्रागंण में नारियल बांधते हैं।

वही कृष्ण कुमार (स्थानीय) ने बताया  की वाराणसी शक्तिनगर  हाइवे पर मंदिर होने के कारण झारखंड,छत्तीसगढ़,बिहार, मध्यप्रदेश से लेकर तमाम जगहों से लोग आते है और दर्शन पूजन करते है प्रतिदिन 15 हजार के पास पास दर्शनार्थी दर्शन पूजन करते है।

दूरदराज से मंदिर में आने-जाने वाले श्रद्धालुओं के ठहराव के लिए मंदिर प्रागंण में प्रेक्षागृह व शादी विवाह के आयोजन के लिए अलग-अलग कमरों का निर्माण किया गया है। धर्मशाला भी बना है। मंदिर की सुरक्षा व आनेजान वालो के लिए बहु समुचित व्यवस्था है।

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