कांग्रेस का मीडिया और मीडिया की स्वतंत्रता’ सिर्फ चुनावी शगूफा न बन जाये

तमन्ना फरीदी

लखनऊ।वायनाड में राहुल गांधी के रोड शो के दौरान बेरिकैडिंग टूटने से हादसा हो गया और तीन पत्रकार इसमें घायल हो गए। इसके बाद राहुल गांधी खुद उन घायलों के पास पहुंचे और उन्हें ऐंबुलेंस तक ले गए।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के वायनाड रोड शो के दौरान बैरीकेट टूटने से कुछ पत्रकार घायल हो गए. राहुल गांधी घायल पत्रकारों की मदद के लिए आगे आए. उन्होंने घायल पत्रकारों को एम्बुलेंस तक पहुंचाया और उनका हाल चाल जाना. कुछ पत्रकारों को मामूली चोटें आई हैं, जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया है. बता दें कि राहुल गांधी ने गुरुवार को केरल की वायनाड सीट से लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया है.
इससे पूर्व राहुल गाँधी पत्रकारों के लिए संवेदनशील रहे है कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी ने मणिपुरी पत्रकार किशोरचंद्र वांगखेम को एक पत्र लिखा है जिन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत जेल में बंद गया है. राहुल गांधी ने अपने पत्र में पत्रकार के प्रति एकजुटता जाहिर की है और उनके गिरफ्तारी की निंदा की है.
दूसरा मामला इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में पार्टी के ओबीसी विभाग के राष्ट्रीय अधिवेशन को संबोधित करने के लिए जा रहे थे। जब उनका काफिला हुमायूं रोड पर था तो उन्होंने एक पत्रकार को सड़क पर घायल अवस्था में देखा। इसके बाद वह अपने वाहन में बैठाकर उसे एम्स ले गए। पत्रकार का नाम राजेंद्र व्यास है।
ऐसा नहीं है ये सिर्फ एक दो मामले है कांग्रेस के घोषणापत्र के ‘मीडिया और मीडिया की स्वतंत्रता’ में मीडिया को मज़बूत और निष्पक्ष बनाए जाने पर जोर दिया है।
कांग्रेस के घोषणापत्र के ‘मीडिया और मीडिया की स्वतंत्रता’ खंड में कहा गया है ‘हाल के दिनों में मीडिया के कुछ हिस्से ने या तो अपनी स्वतंत्रता का दुरुपयोग किया है या आत्मसमर्पण। आत्मनियमन/स्वनियंत्रण मीडिया की स्वतंत्रता के दुरुपयोग को रोकने का सबसे अच्छा तरीका है, कांग्रेस प्रेस काउंसिल ऑफ़ इंडिया एक्ट 1978 में उल्लेखित स्वनियमन की प्रणाली को मजबूत करने, पत्रकारों की स्वतंत्रता की रक्षा करने, संपादकीय स्वतंत्रता को बनाये रखने और सरकारी हस्तेक्षप के खिलाफ रक्षा करने का वादा करती है।’ इसके दूसरे बिंदु में कहा गया है ‘कांग्रेस फर्जी ख़बरों और पेड न्यूज़ के खतरों से निपटने के लिए भारतीय प्रेस परिषद् को मजबूत करने के उद्देश्य से भारतीय प्रेस परिषद् अधिनियम 1978 में संशोधन का वादा करती है।
इस खंड के तीसरे बिंदु में अख़बारों और मीडिया संघों के लिए आदर्श आचार संहिता बनाने की बात कही गई है। इसके अलावा, कांग्रेस पार्टी ने मीडिया में एकाधिकार रोकने के लिए कानून पारित करने का भी वादा किया है। इसकी वजह मीडिया पर व्यावसायिक संगठनों का बढ़ता नियंत्रण हैं। मौजूदा वक़्त में ही तमाम मीडिया संस्थान किसी न किसी औद्योगिक घराने से ताल्लुख रखते हैं। घोषणापत्र में पत्रकारों को सुरक्षा देने का भी उल्लेख है। कांग्रेस ने वादा किया है कि संघर्ष के क्षेत्रों में कार्यरत, सार्वजनिक हित से जुड़े मामलों की जांच करने वाले पत्रकारों या ऐसे पत्रकार जिनकी जान को खतरा है, उन्हें राज्यों के साथ मिलकर सुरक्षा प्रदान की जाएगी।
न्यूज चैनल को हर घंटे में सुर्खियाँ चाहिए और ऐसे में हर बार खबरों को नए ढंग से पेश करने की होड़ मच जाती है। इससे असली खबरें खो जाती हैं या उसे गलत ढंग से पेश किया जाता है।पुराने दौर में पत्रकारों का अख़बार के नफ़ा-नुक़सान के बारे में सोचना भी अनैतिक था लेकिन जब नौकरियाँ ठेके पर दी जाने लगीं तो न्यूज़रूम पर बाज़ार का क़ब्ज़ा हो गया अब देखना है ‘मीडिया और मीडिया की स्वतंत्रता’ में कांग्रेस कितनी खरी उतरती है या मात्र घोषणापत्र में घोषणा बन कर रह जाएगी।
तमन्ना फरीदी

Translate »