हनुमान जी हिमालय पर्वत पर जा लाये संजीवनी
पंकज सिंह/रोहित सिंह@sncurjanchal
म्योरपुर में चल रहे श्री रामलीला के मंचन के 12वे दिन रावण अंगद संवाद व लक्ष्मण शक्ति का लीला बडे ही रोमांचक तरीके से दिखाया गया रामा दरबार से शांति दूत बन अंगद जी लंका पूरी को जाते है रावण की सभा मे पहुँच अंगद जी शन्ति का प्रस्ताव रावण से रखते है लेकिन रावण अंगद की बात सुन भड़क जाता है अंगद कहते है अब भी कुछ नही बिगड़ा तुम प्रभु के सरण में चले जाओ प्रभु तुम्हे माफ कर देंगे लेकिन अहंकार में चूर रावण अंगद का एक नही सुनता अंगद जी रावण की सभा मे अपना पैर जमा कहते है अगर कोई भी योद्धा मेरा पैर चालयमान कर देता है तो प्रभु श्री राम अपने घर को जाएंगे रावण के कहने पर सभी योद्धा अंगद जी का पैर चलायमान करने का प्रयास करते है लेकिन कोई भी योद्धा अंगद जी का पैर हिला नही पाता यह देख रावण अपने गद्दी से उठ जैसे ही अंगद जी का पैर पकड़ना चाहता है अंगद जी कहते है पैर पकड़ना है तो प्रभु श्री राम का पकड़ो मैं तो उनका सेवक हु यह कह अंगद जी प्रभु श्री राम के पास जाकर सारी बात को बताते है रावण द्वारा इंद्रजीत को समर भूमि में भेजा जाता है लक्ष्मण जी से युद्ध के दौरान जब मेधनाथ सब अस्त्र से हार जाता है तो ब्रम्ह अस्त्र का प्रयोग करता है जिससे लक्ष्मण जी मुर्छित हो जाते है हनुमान जी द्वारा प्रभु श्री राम के पास मुर्छित अवस्था में लक्ष्मण जी को लेकर जाते है वही विभीषण जी बताते है की लंका में सुसैन बैध है यह सुन हनुमान जी लंका में जा सुसैन बैध को लेकर आते है बैध के बताने पर हनुमान जी हिमालय के धौलागृह पर्वत पर जा संजीवनी लाते है संजीवनी लाने के बाद बैध द्वारा लक्ष्मण जी को संजीवनी पिलाने के बाद लक्षमन जी होश में आते है।
मंचन का लुफ्त उठाने किरीब 5 हजार दर्शकों ने उठाया तथा देर रात तक दर्शक डटे रहे इस दौरान महा प्रबन्धक गौरीशंकर सिंह,अध्यक्ष वीरेंद्र सोनी,कोषाध्यक्ष पंकज सिंह,सहकोषाध्यक्ष अंकित जायसवाल,अभय जित्तू जी,आशीष बिट्टू,हृदय अग्रहरि सहित तमाम लोग मौजूद रहे।
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