शिवामय हुआ सोनांचल, हजारों ने लगाए जय भवानी – जय शिवाजी के नारे

पावन खिंड दौड़ और जाणता राजा महानाट्य की सफलता के लिए आयोजकों ने जताया आभार

  • हिंदवी स्वराज की स्थापना का 350 वां वर्ष
  • सोनभद्र से भी जुड़े हैं शिवाजी के संदर्भ : विजय शंकर

सोनभद्र(सर्वेश श्रीवास्तव)। पूरे एक सप्ताह से सोनभद्र छत्रपति शिवाजी के जयघोष से गुंजायमान हो उठा है। 16 नवंबर को युवाओं और बच्चों ने ‘हम भी दौड़े देश के लिए ‘ नारे के साथ पावन खिंड दौड़ लगाई वहीं 21 नवंबर को जिले के हजारों व्यक्तियों ने काशी में जाकर महानाट्य जाणता राजा देख राष्ट्रप्रेम के संदेश को आत्मसात किया। दोनों आयोजनों को ऐतिहासिक बताते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग

प्रचारक उपेंद्र जी ने कहा कि सोनभद्र सिर्फ ऊर्जा उत्पादन का केंद नहीं यहां की युवा पीढ़ी बहुत ही ऊर्जावान है और राष्ट्र के प्रति यहां के लोगों की आस्था और समर्पण अनुकरणीय है। जाणता राजा महानाट्य के सोनभद्र प्रभारी वरिष्ठ भाजपा नेता रमेश मिश्रा और जाणता राजा महानाट्य आयोजन समिति के सदस्य वरिष्ठ पत्रकार विजय शंकर चतुर्वेदी ने 21 नवंबर को वाराणसी पहुंचे हजारों लोगों के प्रति आभार जताया । श्री मिश्र ने कहा कि नाटक मंचन के प्रथम दिवस सोनभद्र के लोगों

के लिए आरक्षित था, आठ हजार से ज्यादा लोगों ने पहुंच कर उस कार्यक्रम को ऐतिहासिक रूप से सफल बनाया। भारत के स्वाभिमान की रक्षा के लिए छत्रपति शिवाजी द्वारा 62 किमी की दौड़ और पावन खिंड नामक स्थान पर 300 मराठा सैनिकों के बलिदान को स्मरण करते हुए लगभग 12 हजार विद्यार्थी व युवाओं ने 16 नवंबर को पूरे सोनभद्र में पावन खिंड दौड़ लगाई, संयोजक भोलानाथ मिश्र ने उन सभी सहयोगियों के प्रति आभार प्रकट करते हुए शुभकामना प्रकट की। क्रीड़ा भारती के प्रांत अध्यक्ष पंकज श्रीवास्तव ने भी सोनभद्र के सभी ग्यारह केंद्रों के प्रबंधकों और संयोजकों के प्रति साधुवाद प्रकट किया। महानाट्य जाणता राजा का आयोजन सेवा भारती, काशी प्रांत और पावन खिंड दौड़ का आयोजन क्रीड़ा भारती, काशी प्रांत और शहीद उद्यान ट्रस्ट द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था। सेवा भारती महानाट्य आयोजन समिति के सदस्य और क्रीड़ा भारती पावन खिंड दौड़ आयोजन समिति के संयोजक व शहीद उद्यान ट्रस्ट के चेयरमैन विजय शंकर चतुर्वेदी ने कहा कि सोनभद्र में पावन खिंड दौड़ का आयोजन कोई रेस या प्रतियोगिता नहीं यह राष्ट्रवाद की बुनियाद है जिसका संदेश संपूर्ण देश में गया है, सोनभद्र से प्रेरित होकर प्रदेश और देश के कई जिलों में पावन खिंड दौड़ की तैयारी प्रारंभ हो गई है। उन्होंने कहा कि दौड़ और नाटक के दौरान जय भवानी – जय शिवाजी के गगनभेदी जयघोष अब रुकने वाला नहीं है , जिले ने दोनों कार्यक्रमों को अभूतपूर्व रूप से सफल करते हुए इतिहास सृजन का कार्य किया है।

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