नहाय -खाय के साथ छठ पर्व की शुरुआत

ओम प्रकाश रावत

विंढमगंज (सोनभद्र)। क्षेत्र में छठ पूजा की धूम मची हुई है छठ पर्व की शुरुआत आज नहाय-खाय के साथ हो चुका है। नहाय-खाय के बाद दुसरे दिन खरना की पंरपरा निभाई जाएगी। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को खरना मनाया जाता है। खरना में दिन भर व्रत के बाद व्रती रात को पूजा के बाद गुड़ से बनी खीर खाकर, उसके बाद से 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू करते हैं। दरअसल, छठ महापर्व के दूसरे दिन खरना होता है। खरना को लोहंडा भी कहा जाता है। खरना खास होता है, क्योंकि व्रती इसमें दिन भर व्रत रखकर रात में रसिया (खीर) का प्रसाद ग्रहण करते हैं। खरना का मतलब होता है शुद्धिकरण। इसे लोहंडा भी कहा जाता है। खरना के दिन छठ पूजा का विशेष प्रसाद बनाने की परंपरा है। छठ पर्व बहुत कठिन माना जाता है और इसे बहुत सावधानी से किया जाता है। कहा जाता है कि जो भी व्रती छठ के नियमों का पालन करती है उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

……………खरना का महत्व……….
इस दिन व्रती शुद्ध मन से सूर्य देव और छठ मां की पूजा करके गुड़ की खीर का भोग लगाती हैं। खरना का प्रसाद काफी शुद्ध तरीके से बनाया जाता है। खरना के दिन जो प्रसाद बनता है, उसे नए चूल्हे पर बनाया जाता है। व्रती इस खीर का प्रसाद अपने हाथों से ही पकाती हैं। खरना के दिन व्रती महिलाएं सिर्फ एक ही समय भोजन करती हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से शरीर से लेकर मन तक शुद्ध हो जाता है। छठ घाटों पर थाना प्रभारी निरीक्षक श्याम बिहारी पुलिस बल के साथ निगरानी कर रहे हैं।

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