सोनभद्र। 25 जून 2020 पूर्वांचल राज्य जनमोर्चा के संगठन प्रमुख पवन कुमार सिंह एडवोकेट ने एक प्रेस विज्ञप्ति में मांग की है कि पूर्वांचल राज्य की आवश्यकता है क्योंकि 2000 में प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी की राजग सरकार ने 15 दिनों में तीन नए राज्य झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तरांचल बनाए और कांग्रेसी प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह की सरकार तेलंगाना का निर्माण कर चुकी है, तो फिर अन्य छोटे राज्यों के निर्माण की मांग की अनदेखी किस आधार पर की जा रही है?
देश की आज़ादी के समय कुल 17 राज्य थे आज बढ़कर 29 राज्य हो चुके हैं, इसलिए मोदी सरकार को नए राज्यों के निर्माण का तर्कसंगत आधार तैयार करने के लिए द्वितीय राज्य पुनर्गठन आयोग तत्काल नियुक्त करना चाहिए. राज्यों के गठन की पूर्व की स्थितियां यह दर्शाती हैं कि प्रथम आयोग को दिसंबर 1953 में नियुक्त किया गया था और उसकी सिफारिशों के आधार पर 1956 में भाषाई राज्यों का निर्माण हुआ था. केवल हिन्दी क्षेत्र में कई पृथक राज्य बनाए गए थे क्योंकि यह क्षेत्र अपने आकार में इतना विशाल थे कि इसे एक राज्य की प्रशासनिक सीमा के भीतर नहीं समेटा जा सकता था. भाषाई राज्यों के निर्माण के पीछे यह मान्यता काम कर रही थी कि भाषा संस्कृति का आधार है. छोटे राज्य विकास के नए आयाम स्थापित किए हैं जिसमें छत्तीसगढ़, झारखंड और उत्तराखंड का अनुभव इसके उदाहरण है. भारत में औसतन साढ़े तीन करोड़ लोग एक राज्य में रहते हैं जबकि ब्राजील के लिए यह संख्या 70 लाख, अमेरिका के लिए 60 लाख और नाइजीरिया के लिए 40 लाख है. इसके विपरीत उत्तर प्रदेश की जनसंख्या लगभग 23 करोड है इसलिए पृथक पूर्वांचल राज्य को बनाया जाए इस अवसर पर राष्ट्रीय सचिव पंकज कुमार यादव एडवोकेट, प्रदेश प्रवक्ता काकू सिंह , जिलाध्यक्ष शिव प्रकाश चौबे आदि थे ! प्रेषक – काकू सिंह प्रदेश प्रवक्ता पूर्वांचल राज्य जनमोर्चा