सोनभद्र(सीके मिश्रा/शिव प्रकाश पाण्डेय) बिल्ली मारकुंडी वरदिया खनन क्षेत्र में खनन माफिया सरकारी मशीनरी के अनैतिक गठजोड़ के संबंध में गुरूवार को जिलाधिकारी को एक शिकायती पत्रक सौंपते हुए जदयू जिलाध्यक्ष संतोष पटेल एडवोकेट ने वन अधिनियम की धारा 4 की आड़ में हो रहे गोरखधंधे पर कड़ा प्रहार किया। श्री पटेल ने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार की भ्रष्टाचार मुक्त शासन का दावा बिल्कुल खोखला साबित हो रहा हैक्योंकि खनन माफिया सरकारी अधिकारियों के मिलीभगत के कारण न केवल अन्य आम खनन व्यवसायियों को परेशान किया जा रहा है, मनमानी तरीके से नियम- कानूनोें को तोड़ मरोड़ कर धज्जियां उड़ाई जा रही है। वही जनहित याचिका संख्या- 18769/2017 (आॅल इंडिया कैमूर पीपुल्स फ्रंट बनाम उ0प्र0 राज्य व अन्य) में पारित मा0 उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेश दिनांक 07.03.2019 के क्रम में जिलाधिकारी के आदेश संख्या 3076/खनिज/2019 दिनांक 15.03.2019 द्वारा खनन पट्टों की जांच का आदेश दिया गया था। जिसके उपरोक्त में डिप्टी कलेक्टर, मुख्यालय सोनभद्र के पत्रांक- 532/2019 दिनांक 29.03.2019 द्वारा जिलाधिकारी को अवगत कराया गया था कि कुल 24 खनन पट्टों के आराजी नंबरों का प्रपत्र-7, प्रपत्र-14 तथा धारा-4 में विज्ञापित होने संबंधी गजट का परीक्षण कराया गया है। यह परीक्षण तीन सदस्यीय टीम द्वारा किया गया। जिसमें स्वयं डिप्टी कलेक्टर सुशील कुमार यादव, खान अधिकारी के0 के0 राय तथा उप प्रभागीय वनाधिकारी जय प्रकाश सिंह शामिल रहे। जिन्होंने संयुक्त रूप से बालाजी स्टोन वक्र्स, मे0 मंगेश्वर बाबा स्टोन वक्र्स तथा श्री कमलेश्वर प्रसाद समस्त बिल्ली मारकुंडी समेत कुल 11 लोगों/ फर्मों का संपूर्ण रकबा धारा- 4 में विज्ञापित होना दिखाया गया इसके बाद प्रभागीय वनाधिकारी ओबरा के पत्रांक- 2985/ओबरा/33 दिनांक 30.03.2019 तथा मुख्य संरक्षक मीरजापुर के पत्रांक- 4274/मी0क्षे0/33 दिनांक 10.04.2019 के क्रम में उक्त खनन क्षेत्र में प्रतिबंधित किए गए खनन पट्टों में से, रिपोर्ट दिनांक 03.07.2019 के अनुसार 08 खनन पट्टों के कुछ आराजी नंबरों को धारा- 4 में विज्ञापित न होना बताया गया है। इस रिपोर्ट को उपजिलाधिकारी सदर यमुनाधर चैहान, खान अधिकारी के0 के0 राय तथा उप प्रभागीय वनाधिकारी जय प्रकाश सिंह ने तैयार किया। जिसके अनुसार बालाजी स्टोन वक्र्स, मे0 मंगेश्वर बाबा स्टोन वक्र्स तथा श्री कमलेश्वर प्रसाद समस्त बिल्ली मारकुंडी के अनेक रकबा क्षेत्रों/ नंबरों को धारा- 4 से बाहर कर दिया गया। जिसे 03 माह पूर्व ही धारा- 4 से प्रभावित बताया गया था। श्री पटेल के अनुसार हैरान करने वाली बात यहां यह है कि उक्त दोनों त्रिसदस्यीय समितियों में खान अधिकारी के0 के0 राय तथा उप प्रभागीय वनाधिकारी जय प्रकाश सिंह शामिल रहे हैं। ऐसे में उक्त दोनों अधिकारियों द्वारा 03 माह के भीतर दो प्रकार की रिपोर्ट देना स्वतः ही किसी बड़े अनैतिक गठजोड़ को सिद्ध कर देता है। दावों पर गौर करें तो खान अधिकारी के0 के0 राय के खिलाफ हमीरपुर एवं फतेहपुर के कुछ मामलों की जांच सीबीआई तथा ईडी द्वारा किया जा रहा है। यह भी गौर करने वाली बात है कि डिप्टी कलेक्टर मुख्यालय के पत्रांक- 532/2019 दिनांक 29.03.2019 के अनुसार मे0 सांई बाबा स्टोन वक्र्स को पूरी तरह से तथा मे0 मां कामाख्या स्टोन वक्र्स को आंशिक रूप से धारा- 4 से बाहर बताया गया है। जबकि उक्त दोनों फर्म सीलिंग की जमीन में हैं। जिसे उपजिलाधिकारी सदर ने 27.04.2011 को खाता संख्या- 04075 में कुल 09 भूमिहीन आदिवासी लोगों को कृषि पट्टा दिया था। जिसे संबंधितों ने 01 दिन बाद ही बेच दिया। जिसकी शिकायत एवं स्वप्रेरणा से उपजिलाधिकारी सदर ने 27.04.2011 को पट्टा रद्द कर दिया। जिसे जिलाधिकारी द्वारा दिनांक 17.06.2011 को जारी आदेश में सही ठहराया गया। अब इस आदेश को खतौनी में 22.06.2011 को दर्ज कर लिया गया। जिससे उक्त जमीन पुनः सीलिंग की हो गयी। इसके बाद बोर्ड आॅफ रेवेन्यू इलाहाबाद ने एक मामले में जिलाधिकारी के उक्त आदेश पर स्थगन आदेश पारित कर दिया। इसी आधार पर खनन माफिया एवं अधिकारियों के अनैतिक गठजोड़ ने सीलिंग की उक्त जमीन को भी नहीं बख्शा। जबकि बोर्ड आॅफ रेवेन्यू इलाहाबाद का फैसला दिनांक 28.08.2018 को आ चुका है। किंतु खेल को जारी रखने के लिए।अधिकारियों ने बोर्ड आॅफ रेवेन्यू इलाहाबाद के उक्त आदेश को अभीं तक खतौनी में दर्ज होने नहीं दिया। जिससे कि अनैतिक लाभ को जारी रखा जा सके। इतना ही नहीं डिप्टी कलेक्टर मुख्यालय के पत्रांक- 532/2019 दिनांक 29.03.2019 के अनुसार मे0 हरीशंकर स्टोन वक्र्स का दो तिहाई हिस्सा फर्जी तरीके से धारा-4 से बाहर बताकर 07.05.2019 को खनन चालू करा दिया गया। 06 माह तक वनभूमि में अवैध रूप से खनन होने का मामला प्रकाश में आया तब जिलाधिकारी द्वारा नवंबर, 2019 में करायी गयी जांच में पाया गया कि उक्त पट्टा धारा-4 से प्रभावित है। जिसकी जानकारी कमिश्नर द्वारा शपथपूर्वक मा0 एनजीटी को दिया गया। ऐसे में 06 माह तक हुए वनभूमि में अवैध खनन के लिए जिम्मेदार कौन है? स्वतः स्पष्ट है कि यहां भी खनन माफिया एवं अधिकारियों का अनैतिक गठजोड़ काम कर रहा है। श्री पटेल का यह भी कहना है कि उ0प्र0 उप खनिज परिहार नियमावली 1963 में स्पष्ट रूप से अंकित है कि कोई भी खनन पट्टा आंशिक रूप में संचालित नहीं होगा। यदि किन्हीं परिस्थितियों में ऐसा आवश्यक होगा तो जिलाधिकारी को शासन से अनुमति लेनी पड़ेगी एवं माइनिंग प्लान (खनन योजना) बनवाकर पूरक पट्टा विलेख के साथ ही प्रारंभ किया जा सकेगा। इसके बावजूद खान अधिकारी एवं प्रभारी अधिकारी खनन ने अन्य अधिकारियों को अपने अनैतिक प्रभाव में लेकर खनन माफियाओं से गहरे गठजोड़ के परिणामस्वरूप 09 आंशिक खनन पट्टों को न केवल चालू करा दिया अपितु अभीं 08 और आंशिक खनन पट्टों को चालू कराने की जुगत में लगे हुए हैं। यह बात तो आमतौर पर सभी लोग जानते हैं कि राजस्व संहिता के अनुसार मीनजुमला नंबर में जब तक 176 (फाटबंदी) की कार्यवाही उप जिलाधिकारी के यहां से न हो जाय तब तक सीमांकन (पथरगड़ी) नहीं की जा सकती है। किंतु यहां 09 खनन पट्टों में बिना 176 की कार्यवाही के ही कब्जे के आधार पर प्रभारी खनन अधिकारी/ अपर जिलाधिकारी के गलत आदेश पर सीमांकन कर दिया गया। ऐसे में स्वतः सिद्ध एवं स्पष्ट हो जाता है कि प्रभारी खनन अधिकारी/ अपर जिलाधिकारी योगेन्द्र बहादुर सिंह, खान अधिकारी के0 के0 राय, उप प्रभागीय वनाधिकारी ओबरा जय प्रकाश सिंह व उप जिलाधिकारीगण समेत अन्य अधीनस्त अधिकारी व कर्मचारीगणों का खनन माफियाओं से गहरा गठजोड़ एवं अनैतिक दुरभिसंधि चल रही है। जिसके बल पर इन लोगों ने तमाम सरकारी नियमों का उल्लंघन कर मनमानी तरीके से सरकारी नियमों की व्याख्या व रिपोर्टिंग करते हुए खनन कार्यों में अपनी अनैतिक हिस्सेदारी को संरक्षित करने का काम करते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि खुले बाजार में खनिज पदार्थों को मनमानी बाजार भाव पर बेचा जा सके। तभीं तो जितनी बार खनन क्षेत्रों की जांच एवं सीमांकन का काम होता है, उतनी बार इन लोगों का अपनी स्वार्थसिद्धी के अनुसार मानक बदलता रहता है।वही जिलाध्यक्ष संतोष पटेल ने प्रमुख महासचिव सै० अप्रेज अहमद, कोषाध्यक्ष छोटेलाल मौर्या, आईटी सेल प्रभारी सुधीर कुमार, घोरावल विधानसभा अध्यक्ष लालबर्ती यादव, जिला महासचिव अजीत कुमार व राजेंद्र कोल, विकास पटेल, इं० शिवशंकर सिंह इत्यादि के साथ मिलकर जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपने के साथ तमाम उच्चाधिकारियों को भी पत्रक भेजकर मांग किया है कि कागजों व रिकार्डों में हेराफेरी कर मनमानी तरीके से सरकारी नियमों की अपनी इच्छानुसार व्याख्या कर खनन माफियाओं के अनैतिक गठजोड़ के दम पर अवैध खनन करने व कराने वाले समस्त जिम्मेदार लोगों पर कानूनी कार्रवाई की जाय। जिससे कि आम खनन व्यवसायियों को भी न केवल रोजगार मिल सके बल्कि आम जनता को भी सस्ते दर पर अपना आशियाना बनाने के लिए आवश्यक खनन सामग्री मिल सके।