रिहंद स्थापना दिवस पर स्वरचित काव्यगोष्ठी का आयोजन

रामजियावन गुप्ता/बीजपुर (सोनभद्र) एनटीपीसी रिहंद के 38वें स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर रविवार को रिहंद के राजभाषा अनुभाग के तत्वावधान में प्रशासनिक भवन के सृजन सम्मेलन कक्ष में आयोजित हिंदी कार्यशाला के दौरान काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया । कार्यक्रम के शुरुआती दौर में मंच का संचालन कर रहे लक्ष्मी नारायण ‘पन्ना’ ने काव्यगोष्ठी में पधारे हुए रचनाकारों का स्वागत अपने संबोधन के जरिए किया । श्री पन्ना ने विभिन्न रचनाकारों का परिचय कवित्तमयी भाषा में देकर, अपने संचालन के जरिए सभी का मन मोह लिया ।काव्यगोष्ठी में सर्वप्रथम देवी प्रसाद पाण्डेय ने “मैं तो बुलाता तुम नहीं आते” गीत गाकर शृंगार रस की गंगा बहा दी । गीत के साथ ही श्रोताओं ने श्री पाण्डेय के मधुर कंठ की भूरि-भूरि प्रशंसा की । पुनः के आर विश्वकर्मा ने देश के शहीदों के नाम “नमन” गाकर श्रोताओं को देश-भक्ति से ओत-प्रोत कर दिया । अगली कड़ी में अरुण ‘अचूक’ ने “वो भाव उगेंगे अंतस में, जो बीज कभी बोए होंगे” गाकर श्रोताओं की तालियाँ बटोरी । कार्यक्रम के संयोजक प्रशांक चंद्रा ने “सपनों के लौटने का इंतज़ार” सुनाकर प्रेम के दर्द को अभिव्यक्ति दी । कार्यक्रम के संचालक लक्ष्मी नारायण ‘पन्ना’ ने “दर्द की सरगम बनाकर गुनगुनाना सीख लो” गुनगुना कर महफिल का वातावरण दर्दमय कर दिया । एनटीपीसी रिहंद के परियोजना उदभाषित आर डी दूबे ने परियोजना के आने के बाद लोगों के जीवन में हुए सकारात्मक बदलावों को अपनी कविता “रिहंद की छटा” के माध्यम से बताया । कार्यक्रम में आगे सुमन सिंह ने “एनटीपीसी ने जीवन संवारा” सुनाकर सभी का मन मोह लिया । आज के राजनीतिक वातावरण को रेखांकित करते हुए नरसिंह यादव ने “नेता की बातें नेता ही जाने” सुनाया और राम सकल यादव ने “देशवा बलिदनवा माँगे” गाकर नवजवानों को देशहित बलिदान देने के लिए प्रेरित किया । कार्यक्रम में उपस्थित दैनिक पायनियर के वरिष्ठ पत्रकार डी एस त्रिपाठी ने आत्मकथात्मक कविता “जीवन का उतार चढ़ाव” का सुमधुर पाठ किया । कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि अपर महाप्रबंधक (टी एस) ई नन्द किशोर ने सभी कवियों के योगदान को सराहा तथा इसी तरह रचनात्मक ऊर्जा से रिहंद को भविष्य में भी ओत-प्रोत रखने के लिए शुभकामनाएँ दी एवं स्मृतिचिन्ह देकर कवियों का मनोबल बढ़ाया ।

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