सोनभद्र।
उभ्भा नरसंहार के पीड़ितों को पट्टा वितरण के लिए हो रहे मुख्यमंत्री के दौरे से पूर्व आज स्वराज अभियान और मजदूर किसान मंच ने सीएम को पत्र भेजकर इस मौके पर विकास, रोजगार और सामाजिक न्याय की कुंजी भूमि के सवाल को हल करने के लिए भूमि आयोग के गठन और वनाधिकार कानून के तहत पुश्तैनी वन भूमि पर आदिवासियों व वनाश्रितों को अधिकार देने की घोषणा करने की मांग की है।
स्वराज अभियान की राज्य कार्यसमिति सदस्य और मजदूर किसान मंच के प्रभारी दिनकर कपूर द्वारा मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में सीएम के संज्ञान में लाया गया कि उभ्भा नरसंहार के तत्काल बाद स्वराज अभियान के राष्ट्रीय नेता अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने इस तरह की हृदय विदारक घटना अन्य जिलों और गांव में न घटित हो इसलिए सरकार से भूमि आयोग के गठन, वनाधिकार कानून के तहत जमीन पर अधिकार व भूमि विवादों के निस्तरण के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट गठित करने की मांग उठाई थी। परन्तु इन मांगों को पूरा करने की जगह सोनभद्र, मिर्जापुर और चंदौली का जिला प्रशासन वनाधिकार कानून के लाभ से आदिवासियों व वनाश्रितों को वंचित करने में ही लगा है। हालत इतनी बुरी है कि माननीय उच्च न्यायालय के वनाधिकार कानून में पुनर्सुनवाई के आदेश के बाद दावाकर्ताओं के हजारों प्रत्यावेदन तहसीलों में पड़े है इन्हें विधि के अनुरूप निस्तारित करने की जगह आदिवासियों व वनाश्रितों को वन विभाग खेती करने से रोक रहा है, बेदखली हो रही है, उन पर मुकदमें कायम किए जा रहे है और उनका उत्पीड़न किया जा रहा है। आमतौर पर कहीं भी वनाधिकार कानून के तहत जमा दावों के सम्बंध में दावेदारों को सूचित करने, सुनवाई का अवसर देने जैसी आवश्यक विधिक कार्यवाही नहीं की गयी है लेकिन प्रशासन दावों को निरस्त करने की रिपोर्ट बार-बार शासन को भेज रहा है। यहीं नहीं अभी तक जमीन के सवाल को हल करने के लिए भूमि आयोग के गठन तक की घोषणा प्रदेश सरकार द्वारा नहीं की गयी। पत्र में सीएम मांग की गयी कि वह उभ्भा गांव में अपने आगमन के मौके पर भूमि आयोग के गठन, वनाधिकार कानून के तहत जमीन पर अधिकार व भूमि विवादों के निस्तरण के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट गठित करने की घोषणा करे ताकि उभ्भा नरसंहार जैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।