तोते ने उड़ा दी नींद..

रायपुर (रमेश कुमार “रिपु”)।कांग्रेस के लिए पी चिंदबरम अर्श के नेता हैं। आज फर्श पर आ गये। सत्ता की फ़िल्म ऐसी ही होती हैं। आज उनकी हर सांस अमित शाह का नाम ले रही होगी। यह तो होना ही था। उन्हें हाई कोर्ट ने 22 बार अग्रिम जमानत दी। तब उन्हें यह बात समझ में नहीं आई कि वे कांग्रेस के लिए बड़े लीडर हो सकते हैं लेकिन, कानून के लिए नहीं। वे अब 26 अगस्त तक सीबीआइ की हिरासत में रहेंगे। जाहिर सी बात है कि यदि उनसे होने वाली पूछताछ से सीबीआइ संतुष्ट नहीं हुई तो उनकी हिरासत की अवधि बढ़ाने की अपील करेगी। और पूछताछ में पुख्ता साबूत मिल गये तो उन्हें जेल भी हो सकती है। वैसे उनके जेल जाने की आशंका ज्यादा है। क्यों कि इसके बाद ईडी भी उनसे सवाल करेगी। जैसा कि बताया जा रहा है कि 16 देशों में उनकी संपत्तियां है। जाहिर सी बात है यह मामला टूजी घोटाले की तरह इतनी आसानी से खत्म नहीं हो जायेगा।

ताज्जुब वाली बात है कि उनकी जमानत जब हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया तो उन्हें अपने आप को सरेंडर कर देना चाहिए था। कैसे गृहमंत्री थे। 28 घंटे तक सीबीआइ को छकाते रहे। अपनी सफाई सुप्रीम कोर्ट में देने की बजाय, प्रेस कांन्फ्रेस की। हाई कोर्ट ने उन्हें भ्रष्टाचार का सरगना कहा है। उनके मामले को मनी लाउंड्री का क्लासिकल केस कहा। बावजूद इसके कांग्रेस उनके साथ खड़ी है? क्या करें मजबूरी है।इस मामले से एक बात साफ है कि आने वाले समय में कांग्रेस के अन्य बड़े नेता जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं, उनकी मुश्किलें बढ़ सकती है। जैसा कि प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने पन्द्रह अगस्त को कहा कि देश का एक एक पैसा जिन गलत लोगों के पास है, उसे बाहर लाना जरूरी है।

पी चिदंबरम मामले पर विपक्ष की भंगिमा का बदलना स्वभाविक है। पी चिंदबरम जब गृहमंत्री थे तब उन्होंने अमित शाह को जेल भेजा था। आज चिंदबरम के होश उड़े हुए हैं। कांग्रेस इसे बदलापुर की राजनीति कह रही है। जबकि भाजपा का कहना है कि हाई कोर्ट ने बेल खारिज की तो सीबीआइ ने अपना काम किया। 26 तक चिंदबरम सीबीआइ की कस्टडी में रहेंगे लेकिन, कस्टडी की अवधि नहीं बढ़ी तो ईडी उन्हें अपनी कस्टडी में लेने के लिए अपील करेगी। यानी पी चिंदबरम की सियासी मटकी को फोड़ने के सारे इंतजाम हैं।

पी चिंदबरम की गिरफ्तारी को लेकर जो सियासी नाटक कल रात से आज शाम तक चला। उसमें एक सबसे बड़ी बात यह रही है कि चिंदबरम के वकील कपिल सिब्बल,अभिषेक,विवेक तन्खा आदि ने सीबीआइ की अदालत में बेल देने की बात कही ही नहीं। वो पूरे समय तक सीबीआइ की कस्टडी की खिलाफत करते रहे। वो यही बताते रहे कि जून के बाद, एक बार भी सीबीआइ ने चिंदबरम को बुलाया नहीं। वो हर बार सीबीआइ को पूछताछ में सहयोग किया है। ऐसी स्थिति में सीबीआइ को कस्टडी में लेने का आदेश न दिया जाये।

इस मामले में एक हैरान करने वाली बात है कि भाजपा वाशिंग पावडर बन गई है। जितने भी भ्रष्ट लोग हैं वो भाजपा में शामिल हो गये या फिर भाजपा से हाथ मिला कर धुल गये। लेकिन अन्य दल के लोग अब सरकार के निशाने में हैं।

इनका क्या होगा – जमीन घोटाले में राबर्ट वाड्रा,नेशनल हेराल्ड केस में राहुल गांधी,इसी मामले में सोनिया गांधी, फ्लोर टेस्ट जीतने के लिए विधायकों को खरीदने की कोशिश करने के मामले मे हरीशरावत,आय से अधिक संपत्ति मामले में वीरभद्र,डी.के शिवकुमार,अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकाप्टर घोटाला में अहमद पटेल, आय से अधिक संपत्ति के मामले में मायावती आदि हैं, क्या सीबीआइ के पिंजड़े में ये भी कैद होंगे? केन्द्र सरकार भ्रष्ट लोगों के खिलाफ कार्रवाई का जो अभियान शुरू किया है, आने वाले समय में नहीं लगता कि विपक्ष एक जुट होकर सड़कों पर आने की हिम्मत दिखा सकेगा। यदि आते हैं तो फिर तिहाड़ को कई बड़े लोगों के स्वागत के लिए खुद को तैयार रखना पड़ेगा। बहरहाल तोते ने कइयों की नींद उड़ा दी है। यानी अभी तो ये झांकी है,रैली तो पूरी बाकी है।

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