हजरत को हज की विदाई देने जिम्बावे से आये मौ.हमीदुल हक
दुद्धी।(भीमकुमार) हम जब तक भारत मुल्क में हैं तभी तक हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई हैं, विदेशों में तो हमें भारतीय के नाम से जाना जाता है। धर्म की जगह देश के नाम से खुद का सम्बोधन पाना सुखद अनुभूति देता है। उक्त बातें जिम्बावे से दुद्धी नगर में पधारे मौ.हमीदुल हक ने शुक्रवार को अखबारनवीसों से मुखातिब होते हुए कही। उन्होंने कहा कि कोई भी राजनीतिक दल किसी धर्म विशेष जाति के लोगों का नही होता। कोई भी सत्तासीन राजनीतिक दल हो अगर वो जातिगत नीति से ऊपर उठकर सबका साथ-सबका विकास के तर्ज पर काम कर रही है तो हर मजहब के लोगों को सरकार पर एतमाद करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सत्तासीन सरकारों और राजनीतिक दलों को भी किसी भी मजहब के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नही करना चाहिए। भारत धर्मनिरपेक्ष देश है। यहां की संविधान में हर आदमी को अपने मजहब के हिसाब से पूजा-पाठ और इबादत करने की स्वतंत्रता है। उप्र के घोसी निवासी मौ. हमीदुल हक वर्ष 1994 में अल्जामियतुल अशरफिया यूनिवर्सिटी मुबारकपुर से फाजिल की डिग्री लेने के बाद दो साल भारत में रहे। बताया कि वर्ष 1996 से ज़िम्बाब्वे में रहकर वहां के लोगों को अरबी-उर्दू-फ़ारसी की तालीम दे रहा हूँ। भारत मे भी शिक्षा के मामले में अल्पसंख्यक समुदाय के लोग बहुत पीछे हैं। मुस्लिम समुदाय को दीनी तालीम के साथ दुनियाबी शिक्षा भी हासिल करने की जरूरत है। इससे न केवल उन्हें अच्छी नौकरियों में जाने का अवसर प्राप्त हॉग बल्कि समाज का प्रतिनिधित्व करने में भी कारगर साबित होगा। खानकाहे बकाईयाँ के सज्जादानशीं सैय्यद वलीउल्लाह साहब बकाई ने बताया कि हमलोगों के उस्तादेगिरामी हजरत नसीरे मिल्लत दूसरी बार हज करने जा रहे हैं। उनकी विदाई देने और उनकी खुसूसी दुवाएं लेने के मद्देनजर आज हमलोगों का दुद्धी आगमन हुआ है। अंत में हजरत ने अपनी रूहानी दुआख्वानी में हर मुसलमान को हज की तौफीक बख्शने, मुल्क में अमनोशान्ति बने रहने, मुल्क की तरक्की, आपस में खुलूस और मुहब्बत से रहने की दुआ की। मौलाना मसऊद रज़ा ने आने वाले लोगों का इस्तकबाल किया।