@भीमकुमार
दुद्धी। केंद्र व प्रदेश सरकार ग्रामीण छेत्रों के विकास के लिए भले ही प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास तथा सौचालय निर्माण के साथ ही सिचाई कूप,पुलिया, आंगनबाड़ी केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र समेत अनेकों महत्वपूर्ण योजनाएँ चलाकर शहर से लेकर गांवों तक चहुमुखी विकास कराने के लिए लाखों करोड़ों रुपए पानी की तरह सरकारी धन ख़र्च कर रही हो।लेकिन तहसील प्रशासन व स्थानीय वन विभाग के सख्ती व बालू पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध के कारण सभी सरकारी व गैर सरकारी निर्माण कार्य रुका पड़ा है।जिससे जहां एक तरफ़ सरकार के इस विकास परक योजनाओं पर ग्रहण लग रहा है तो वहीं दूसरी तरफ बालू के अभाव में पक्की निर्माण कार्य बंद होने से छेत्र के हजारों श्रमिकों को रोजगार न मिल पाने के कारण अब गांव घर छोड़कर दिली,गुजरात, चेन्नई जैसे दूसरे जगहों पर दो वक्त की रोटी के लिए जाने को मजबूर होना पड़ रहा है।तथा सरकार के विकास कार्य मे खुद सरकारी अमला ही रोड़ा बन रहा है।ऐसी स्थिति में सरकार की दोहरी नीति पर विभिन्न राजनीतिक संगठनों व गैर राजनीतिक संगठनों द्वारा कई सवाल भी उठाए जा रहें हैं।कि आखिर एक तरफ सरकार शहर से लेकर गाँवो तक ग्रामीणों को प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास तथा सौचालय आदि देकर जल्द से जल्द निर्माण कार्य पूरा करने का दबाव दे रही है।वहीं पक्की निर्माण कार्य मे अहम भूमिका निभाने वाला बालू जैसे सामग्री पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया गया है।अब सवाल उठता है कि आखिर लाभार्थी आवास व सौचालय का निर्माण कार्य पूरा करें तो कैसे करें।इस सवाल का जबाब फिलहाल न तो किसी अधिकारी के पास है और न ही किसी जनप्रतिनिधियों के पास ही है।इनसेट-वन विभाग ने लगाई है रोक,डी एफ ओ का घेराव कर सकते हैं ग्रामीण।महुली(सोनभद्र) विकास खण्ड दुधी के रेंज दुधी व विंढमगंज छेत्र में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास तथा सौचालय के निर्माण कार्य मे होने वाले बालू पर स्थानीय वन विभाग ने पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया है।जिससे खफा विंढमगंज छेत्र के ग्रामीणों व प्रधानों ने प्रभागीय वनाधिकारी कार्यालय का घेराव कर सकते है।विंढमगंज छेत्र के जोरुखाड के ग्राम प्रधान बृजकिशोर, धुमा के रामप्रसाद,जताजुआ के महेंद्र,सलैयादिह के सन्तोष यादव, मुदिसेमर के सुधीर समेत दजर्नों प्रधानों के साथ ही छेत्र के हजारों ग्रामीणों ने तहसील प्रशासन के अलावा वन विभाग को चेतावनी दी है कि अगर हम ग्रामीणों को आवास व सौचालय निर्माण के लिए बालू पर रोक लगाई गई तो रेंज कार्यालय के साथ ही प्रभागीय वनाधिकारी कार्यालय का भी घेराव किया जा सकता है।