छठ पूजा की तैयारियों में जुटे सन सोसाइटी के कार्यकर्ता,किया नदी की सफाई

विंढमगंज/सोनभद्र(प्रभात कुमार)केंद्र और प्रदेश सरकार के वादे से मुकर जाने के बाद विंढमगंज के गांव की जनता ने सन क्लब सोसाइटी के निर्देशन में सतत वाहिनी नदी की सफाई का स्वयं वीणा उठाया और गांव के दर्जनों नौजवान,बच्चे और बुढो को लेकर नदी की सफाई अभियान में जुट गए ।

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जनपद सोनभद्र के अंतिम छोर झारखंड और उत्तर प्रदेश के वार्डर पर सोनभद्र जिले में बसे विंढमगंज में इन दिनों छठ पूजा की तैयारियां जोरों पर चल रही है यही कारण है कि सरकार द्वारा सफाई अभियान फेल होने के बाद गांव के बच्चें, बूढ़े और जवान मिलकर सतवाहिनी नदी में श्रमदान करके एक तरफ जहाँ नदी के अस्तित्व को बचाने का कार्य कर रहे है वही दूसरी तरफ नदी की सफाई करके छठ पूजा की तैयारियों में जुटे है।

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 इस नदी की अपनी अलग महत्ता है हमेशा बहने के कारण ही इस नदी का नाम सततवाहिनी नदी पड़ा।फिर चाहे गर्मी ,बरसात या ठंढ़ का मौसम हो हमेशा बहती रहती है । इस नदी की खासियत यह थी कि किसी भी मौसम में इसकी धारा नहीं रुकती थी वह हमेशा बहती रहती थी चाहे क्षेत्र में कितने भी गर्मी पड़ी हो लेकिन सतत वाहिनी नदी की धारा कभी नहीं रुकी। इस कारण इस नदी का नाम सतत वाहिनी पड़ा लेकिन आज इस  नदी के अस्तित्व पर ही संकट के बादल मंडरा रहे हैं।

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सततवाहिनी नदी की सफाई के कार्य का बीड़ा उठाने वाले नवयुवको का यह पहल तारीफ के काबिल है इससे ना सिर्फ सफाई होगी  बल्कि  नदी  को एक नया स्वरूप भी मिलेगा। इसी विचारधारा को लेकर सन क्लब सोसाइटी के नेतृत्व में 25 नवजवानों की टीम ने सतत वाहिनी नदी की सफाई का संकल्प लिया और दल बल के साथ नदी में कूद गया।नवजवानों का कहना है कि जो नदी का अस्तित्व गन्दीगी के कारण खो रहा है उसी को बचाने का प्रयास किया जा रहा है।

उत्तर प्रदेश झारखंड को विभाजित करने वाली सतत वाहिनी नदी के अस्तित्व बचाने के लिए स्थानीय नौजवानों ने कमर कस लिया है प्रतिदिन 9:00 बजे से 11:00 बजे तक श्रमदान करते हुए सन क्लब सोसायटी के युवकों की टीम नदी की सफाई का कार्य कर रही हैं जिसके कारण लगभग 200 मीटर नदी का सफाई  हो चुका है युवको का दावा है कि 1 माह के अंदर 1 से डेढ़ किलोमीटर से अधिक नदी के सफाई  करने के लिए  वे संकल्पित है ।

 सन क्लब सोसाइटी के विंढमगंज अध्यक्ष रमेश चंद्र सिंह कुशवाहा का कहना है कि विण्ढमगज नगर सततवाहिनी नदी के किनारे बसा हुआ है नदी में अवैध खनन और प्रदूषण के कारण आज यह नदी अपने पहचान ही खोती जा रही है नदी में बालू ना होने के कारण पूरे नदी में घास ,लड़ई (एक तरह का लम्बा घास )जमा हुआ है नदी में पानी है पर घास और लड़ई  के कारण पता ही नहीं चल रहा है वहीं नगर का कचरा और नाली का पानी इस नदी के अस्तित्व को ही समाप्त कर रही है।इसी कारण अभियान चलाकर छठ पुजा से पहले नदी की सफाई करने का प्रयास किया जा रहा है ताकि नदी का अस्तित्व बचा रहे।

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