काशी को मोक्ष नगरी कहा जाता है

पुरुषोत्तम चतुर्वेदी की रिपोर्ट

वाराणसी। मोक्षदायिनी काशी में चिता की अग्नि देने वाले डोमराजा परिवार के वरिष्ठ सदस्य जगदीश चौधरीका मंगलवार को निधन हो गया। वह इन दिनों गंभीर शारीरिक समस्या से जूझ रहे थे। उनके निधन का समाचार मिलते ही शोक की लहर दौड़ गई।

मोदी ने प्रस्तावक बनाकर दिया था सम्मान-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव 2019 में जब वाराणसी से 26 अप्रैल को दोबारा नामांकन किया था तब जगदीश चौधरी भी उनके प्रस्तावकों में से एक थे। यह पहला मौका था जब काशी के डोमराज परिवार के किसी सदस्य को राजनीतिक रुप से सार्वजनिक मंच पर स्थान मिला। प्रधानमंत्री के स्वागत सत्कार से अभिभूत जगदीश चौधरी ने उस समय काशी के डोम परिवारों की स्थिति से अवगत कराया था। प्रधानमंत्री ने आश्वस्त किया था कि बनारस के डोम परिवारों की स्थिति सरकार की विभिन्न योजनाओं के जरिए सुधारी जाएगी।

जब काशी नरेश हो गए थे नाराज डोमराज परिवार से –
काशी में मोक्ष चाहिए तो डोमराजा परिवार की शरण में आना ही पड़ता है। यह वह परिवार है जिसने राजाओं के राजा राजा हरिश्चंद्र को भी काशी के बाजार में खरीद लिया था। आज से छह दशक पहले काशी के डोमराज परिवार ने काशी राजघराने को सीधे चुनौती दे दी थी। दरअसल डोमराज परिवार मीरघाट के पास एक कोठी में रहता है। हुआ यूं कि जगदीश चौधरी के दादा ईश्वर चौधरी ने अपनी कोठी की छत पर एक शेर की प्रतिमा बनवानी शुरु की जिसका मुंह रामनगर किले की तरफ था। राजपरिवार को जब यह बात चली तो काशी नरेश नाराज हो गए और इसे सीधी चुनौती मान लिया। रामनगर दुर्ग से जब यह संदेश डोमराजा परिवार तक पहुंचा तोे लोग चिंतित हो उठे क्योंकि काशी नरेश को काशी में महादेव का अवतार मानते हुए पूजा होती। डोमराजा परिवार ने शेर का मुंह फिर राजघाट की तरफ घुमाया।

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