सोनभद्र।जिले में स्थापित विद्युत उत्पादन की औद्योगिक इकाईयां वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के दिशा-निर्देशो व मा0 राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के दिशा-निर्देशो के अनुरूप अपने-अपने औद्योगिक अधिष्ठानों के राखों का निस्तारण नियमानुसार करें, ताकि पर्यावरण संतुलन बना रहें।

उक्त निर्देश जिलाधिकारी एस0 राजलिंगम ने जिले के औद्योगिक इकाईयों के फ्लाईं ऐश के निस्तारण व प्रयोग की समीक्षा करते हुए सम्बन्धितों को दियें। जिलाधिकारी ने कहा कि विद्युत उत्पादन इकाई चाहे एनटीपीसी की हो या उत्तर प्रदेश की हों, सभी को पर्यावरणीय मानकों को पूरा करना अनिवार्यता है। उन्होंने कहा कि विद्युत उत्पादन इकाईयों से निकलने वाली राखों का उपयोग इण्टर लाकिंग ईटों के साथ ही नियमानुसार अन्य कार्यां में भी किया जाय। उन्होंने कहा कि विद्युत उत्पादन औद्योगिक इकाईयां खनन क्षेत्रों के अधिकारियों से अनुमति प्राप्त करके खनन से हुए गढ्ढों को अनुमति के बाद भर सकेंगी और भरे हुए गढ्ढों पर पौध रोपण का कार्य सम्बन्धित विद्युत उत्पादन इकाई, जिसकी राख अनुमति के बाद खनन के गढ्ढों में भरी जायेगी। उन पर पौध रोपण करना होगा।

उन्होंने पर्यावरण मानक को पूरा करने के निर्देष देते हुए मौके पर मौजूद क्षेत्रीय अधिकारी उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सोनभद्र को निर्देशित किया कि वे राखों के उपयोग व निस्तारण पर सतत निगाह रखें और नियमानुसार अनुपालन सुनिष्चित करें। इस मौके पर जिलाधिकारी एस0 राजलिंगम के अलावा अपर जिलाधिकारी योगेन्द्र बहादुर सिंह, उप जिलाधिकारी सदर यमुनाधर चौहान, क्षेत्रीय अधिकारी उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, सोनभद्र राधेष्याम, खान अधिकारी के0के0 राय, औद्योगिक इकाईयों के पदाधिकारीगण मौजूद रहें।
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