कमिश्नर मीरजापुर सभागार में हुई श्रम बंधु की मीटिंग

न्यूनतम मजदूरी समेत विधिक अधिकारों की गारंटी के लिए उपश्रमायुक्त को किया निर्देशित

सोनभद्र(सर्वेश कुमार)। विंध्याचल मंडलायुक्त द्वारा बुलाई गई श्रम बंधु की मीटिंग में प्रदेश में औद्योगिक मजदूरों की मजदूरी दर को केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित दर के समकक्ष करने, हरहाल में न्यूनतम मजदूरी, बोनस का भुगतान, समुचित सुरक्षा उपकरण देने, ओबरा तापीय परियोजना में आवासों में दसियों साल से रह रहे मजदूरों को बेदखल करने, संविदाकार द्वारा निर्गत अस्थायी गेटपास के बजाय हिंडाल्को में रोजगार कार्ड देने, ओबरा व अनपरा औद्योगिक क्षेत्र में ईएसआई अस्पताल खोलने और सोनभद्र के सभी मजदूरों को ईएसआई का लाभ देने,खनन मजदूरों को भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में पंजीकृत करने जैसे सवालों को श्रम बंधु दिनकर कपूर ने उठाया। मंडलायुक्त की अनुपस्थिति में उनके

प्रतिनिधि के बतौर मीटिंग की अध्यक्षता कर रहे जिलाधिकारी मिर्जापुर प्रवीण कुमार लक्षकार द्वारा न्यूनतम मजदूरी समेत विधिक अधिकारों को लागू करने के लिए मीटिंग में मौजूद उपश्रमायुक्त मिर्जापुर क्षेत्र पिपरी को निर्देशित किया । इतना ही नहीं श्रम बंधु की अगली मीटिंग में कार्यवाही रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए आदेश जारी किया। साथ ही उन्होंने केन्द्र के बराबर राज्य की मजदूरी दर करने के लिए राज्य सरकार को भेजने के लिए निर्देशित किया। श्रम बंधु दिनकर कपूर ने
कहा कि प्रदेश में केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित मजदूरी से तकरीबन आधी मजदूरी की दर है, यहां तक कि तमाम राज्यों से भी बेहद कम मजदूरी प्रदेश के मजदूरों को मिलती है। इसके कारण मजदूर आजीविका के संकट से गुजर रहे है। इसी तरह मेडिकल सुविधाओं के कायाकल्प की वकालत की जा रही है लेकिन सोनभद्र के औद्योगिक क्षेत्र अनपरा व ओबरा में ठेका मजदूर यूनियन व वर्कर्स फ्रंट द्वारा बार बार पत्रक भेजने, मजदूरों द्वारा आवाज उठाने के बावजूद आज तक ईएसआई अस्पताल तक नहीं खोला गया, जबकि इस औद्योगिक जोन में सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं भी नगण्य हैं। कहा कि खनन क्षेत्र समेत अनपरा और ओबरा तापीय परियोजना खतरनाक उद्योगों की श्रेणी में है बावजूद इसके सुरक्षा मानकों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के तय मानकों का घोर अवहेलना आम बात है। आगे कहा अनपरा तापीय परियोजना में तो शासन प्रशासन व प्रबंधन और ठेका मजदूर यूनियन से लिखित समझौतों को आज तक लागू नहीं किया गया। यही स्थिति अन्य परियोजनाओं में है। जिसका नतीजा यह है कि कुशल मजदूरों के लिए शासन द्वारा निर्धारित न्यूनतम मजदूरी451 रू के बजाय मजदूरों को आम तौर पर 250-300 रू भुगतान किया जा रहा है।

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