आपातकाल की 46वीं वर्षगांठ पर विशेष

–जब सिंहासन खाली करो कि जनता आती है का गूंज उठा था नारा

सोनभद्र । आज के 46 वर्ष पूर्व के राबर्ट्सगंज को तब मिर्जापुर का दक्षिणांचल कहा जाता था । रॉबर्ट्सगंज टाउन एरिया का क्षेत्र सीमित था । उसी समय इंदिरा सरकार के खिलाफ समग्र क्रांति का आह्वान करने वाले जय प्रकाश नारायण ने पटना के गांधी मैदान से आंदोलन का बिगुल फूंकते हुए राष्ट्रीय कवि रामधारी सिंह दिनकर की इन पंक्तियों को उधृत कर युवाओं को जागृत कर दिया-
समय के रथ का
घर्घर घर्घर नाद सुनो
सिंहासन खाली करो
कि जनता आती है ।
जय प्रकाश बाबू के इस आह्वान का रॉबर्ट्सगंज, दुद्धी और घोरावल तहसील क्षेत्रों के युवाओं पर असर पड़ा । 25 जून 1975 की अर्धरात्रि जब आपातकाल की घोषणा हो गई थी तो 26 जून को पौने आठ बजे के आला इंडिया रेडियो के समाचार बुलेटिन में समाचार वाचक देवकीनंदन पाण्डेय की खनकती आवाज में सभी प्रकार की जानकारी मिल गई। गिरफ्तारी हर जगह से हुई । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ , भारतीय जनसंघ , सोशलिस्ट पार्टी समेत विपक्षी दलों के तमाम नेता गिरफ्तार कर लिए गए । पुलिस की कड़ाई से लोगों को मुसीबतों का सामना करना पड़ा था । मौलिक अधिकार छीन गए थे । मीसा, डीआईआर में ताबड़तोड़ गिरफ्तारियां हो रही थी । गिरफ्तार लोगो के परिवार वालो को भी समस्याओं का सामना करना पड़ा था । रॉबर्ट्सगंज से शिवशंकर गुप्त, योगेश शुक्ल, राजनरायन सिंह, तेजबहादुर, लल्लू सिंह चूना वाले, कंदोई जी , लोढ़ी के मंगरु यादव , घोरावल से डॉ दयाराम पाठक , दुद्धी से डॉ राजकिशोर सिंह , राबर्ट्सगंन से उमा सावरिया , शाहगंज से गणेश पाण्डेय , रामगढ़ से डॉ कन्हैया लाल गुप्त ,
गोटीबाँध के जवाहरलाल मिश्र को वाराणसी के कैंट से गिरफ्तार कर यातना दी गई । डाला, चुर्क, ओबरा जैसे औद्योगिक क्षेत्रों से कई श्रमिक नेता गिरफ्तार किए गए। जिसमें प्रमुख रुप से समाजवादी नेता व पत्रकार नरेंद्र नीरव, वामपंथी श्रमिक नेता कामरेड रमाशंकर सिंह, गयादीन और जनार्दन प्रसाद पाण्डेय सहित गोरडीहा गांव के रामेश्वर मिश्र ,चतरा के लालता सिंह आदि गिरफ्तार हुए थे ।
मिर्जापुर के जनसंघी नेता और साहित्यकार गोपाल चुनाहे रॉबर्ट्सगंज में कविता पढ़ते समय गिरफ्तार हुए थे ।
वे कविता पढ़ रहे थे—
लोकतंत्र में कौन बड़ा है ?
लोक बड़ा के तंत्र बड़ा है ।
प्रश्न खड़ा है , प्रश्न खड़ा है ।
जय प्रकाश आया है
नया प्रकाश लाया है ।
कवि समेलन की अध्यक्षता गीत ऋषि गोपाल दास नीरज और संचालन दान बहादुर सिंह सूंड फैजाबादी कर रहे थे। उस वक्त भारतमाता की जय का नारा लगाते हुए चुनाहे जी ने गिरफ्तारी दी थी।

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