मजदूरों को आवासीय सुविधा उनका विधिक अधिकार : दिनकर कपूर

एमडी को पत्र भेज आवास खाली करने की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की

सोनभद्र। संविदा मजदूरों को ठेका श्रम (विनियमन और उत्सादन) अधिनियम 1970 के तहत आवासीय सुविधा प्रदान करना प्रबंधन का दायित्व है। ओबरा तापीय परियोजना में इस अधिनियम के तहत 16.07.1997 को श्रमिक संगठनों और स्थानीय प्रबंधन के बीच हुए समझौते के बाद पत्र संख्या 18/जीएम/ई-2/30ए-19 दिनांक 5.08.1997 के बिंदु 32 में संविदा श्रमिकों को डी/डीटी आवास ठेकेदार के माध्यम से न्यूनतम दर पर आवंटित किए जाने का आदेश जारी किया गया था। प्रबंधन द्वारा पारित आदेश के बाद संविदा मजदूरों को आवासीय सुविधा प्रदान की गई। ऐसे में दशकों से परियोजना में सेवाएं प्रदान करने वाले मजदूरों से अवैध अतिक्रमण कारी जैसा व्यवहार कर उनका बिजली पानी काटा जा रहा है जो सर्वथा अनुचित और उत्पीड़न की कार्यवाही है। उक्त बातें वर्कर्स फ्रंट के अध्यक्ष दिनकर कपूर द्वारा प्रबंध निदेशक, उत्पादन निगम को प्रेषित पत्र में कहीं गई हैं। वर्कर्स फ्रंट अध्यक्ष दिनकर कपूर ने प्रबंध निदेशक से मजदूरों की समस्याओं के निस्तारण को लेकर तत्काल वार्ता आयोजित करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि ग्रेच्युटी, न्यूनतम मजदूरी, समान काम का समान वेतन, ईएसआई सुविधा आदि जो विधिक अधिकार मजदूरों को मिले हुए हैं उनका उल्लंघन ओबरा व अनपरा परियोजना में आम बात हो गई है। इन विधिक अधिकारों के क्रियान्वयन के लिए तमाम समझौते हुए पर उन्हें डस्टबिन में फेंक दिया गया। उन्होंने कहा कि योगी सरकार संविदा मजदूरों की हितैषी होने का ढ़िंढ़ोरा पीटती है लेकिन यहां मजदूरी की दरें केंद्र और तमाम राज्यों के सापेक्ष बेहद कम है और ईज आफ ड्यूंग बिजनेस के लिए जरूरी बता मजदूरों के अधिकारों को रौंदा जा रहा है। बिजली कर्मचारियों व अभियंताओं पर भी हमले हो रहे हैं। खर्च घटाने के नाम पर कर्मचारियों की सुविधाओं में कटौती की जा रही है जबकि थर्मल बैंकिंग और कारपोरेट कंपनियों की मुनाफाखोरी व लूट को अंजाम देने वाली नीतियों को लागू किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया है कि दरसल सरकार का मकसद बिजली महकमे के इंफ्रास्ट्रक्चर को कारपोरेट के हवाले करने का है।

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