सोनभद्र की होगी सांस्कृतिक पहचान : भूपेश चौबे

  • संस्कार भारती का प्रथम आयोजन
  • निर्बल कलाकारों को प्रदान किया गया आर्थिक सहयोग
  • साहित्य , संगीत और कला के मर्मज्ञों को उपाधि से विभूषित किया गया
  • श्रोताओं ने जमकर उठाया शास्त्रीय संगीत का आनंद

सोनभद्र।सोनभद्र, जिले को सांस्कृतिक पहचान मिलेगी, इसे यहां की विशिष्टताओं और ऐतिहासिक, पुरातात्विक और धार्मिक खूबियों के लिए जाना जाएगा, यह कहना था सदर विधायक भूपेश चौबे का जो कला एवम साहित्य की अखिल भारतीय संस्था संस्कार भारती के कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे थे, उन्होंने कहा चाहे जिले की अरण्य संस्कृति हो या आदिवासी संस्कृति, इसे अक्षुण्ण रखने के लिए बौद्धिक वर्ग को भी सामने आना पड़ेगा ।
इस अवसर पर संस्था ने तीन दशकों तक क्षेत्र विशेष में अपने कार्यों से जनपद को सम्मान दिलाने के लिए उपाधि प्रदान कर अभिनंदन किया । कार्यक्रम के संयोजक सर्वेश कुमार मिश्र ने रामनरेश मिश्र को ताल ऋषि, उमानाथ मिश्र को ठुमरी सम्राट , गीता सिंह को नृत्य मयूरी, विजय शंकर चतुर्वेदी को संस्कृति मनीषी, दीपक कुमार केसरवानी को पुरातत्व भूषण की उपाधि से विभूषित किया गया व कला के क्षेत्र में प्रतिभा सम्मान प्रतिमा शर्मा को प्रदान किया गया ।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पूर्व विधायक तीरथराज ने संगीत को माँ सरस्वती की आराधना बताया वहीं विशिष्ट अतिथि राहुल श्रीवास्तव ने जनपद की सांस्कृतिक खूबियों पर प्रकाश डालते हुए आदिवासी संस्कृति के संदर्भों के अभिलेखीकरण पर जोर दिया। सोनभद्र बार एसोसिशन के अध्यक्ष चंद्र प्रकाश द्विवेदी ने इस कार्यक्रम को साहित्य, संगीत व कला त्रिवेणी बताया और कहा कि सोनभद्र की बार जनपद के सांस्कृतिक विकास के लिए सहयोग करने के लिये सदैव तैयार है । मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार विजय शंकर चतुर्वेदी ने कहा कि जिले की खूबियां इसे भारतभद्र बना सकती हैं, उन्होंने कहा कि सम्पूर्ण दक्षिण एशियाई देशों में कोई ऐसा जनपद नहीं है जहां एक साथ विविधताओं से पूर्ण संस्कृति उपलब्ध हो , जनपद सृजन के 32 वर्ष हो गए है लेकिन अभी भी पिछड़े जिले का धब्बा लगा हुआ है, जबकि अब इसकी सांस्कृतिक खूबियों की पहचान बननी चाहिए। उन्होंने उम्मीद जताई कि संस्कार भारती साहित्य संगीत और कला की इतनी मजबूत बुनियाद तैयार करेगी कि आने वाला समय जनपद को एक नई ऊंचाई दे।
कलाकारों में अविनाश सोनी, हरिलाल प्रजापति, कृष्ण कुमार यादव, तेजन अग्रहरि व कमल कुमार विश्वकर्मा को संस्था द्वारा आर्थिक सहयोग प्रदान किया गया ।
तबला वादक रामनरेश मिश्र व ठुमरी गायक उमानाथ मिश्र की जुगलबंदी को श्रोताओं ने खूब पसंद किया । देवदत्त तिवारी , स्वरा मिश्रा, दिव्या पाठक व शिवम पाठक कजरी ने खूब तालियां बटोरीं । आरुणि मिश्रा और कमलनयन तिवारी ने श्रोताओं की मांग पर मनपसंद गजलें सुनायीं।गुरुकल एकेडमी के बच्चों ने संस्कार भारती के ध्येय गीत की खूबसूरत प्रस्तुति दी ।
कार्यक्रम का संचालन भोलानाथ मिश्रा और संस्कार भारती का परिचय अतुल चतुर्वेदी ने किया, आभार ज्ञापन सर्वेश कुमार मिश्र ने किया ।

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