अनपरा डी में हुई दुर्घटना की न्यायिक जांच के लिए वर्कर्स फ्रंट ने भेजा मुख्यमंत्री को पत्र

अनपरा’डी’ के जनरेटर एक्साइटर में ब्लास्ट होने और परियोजना निर्माण में हुए अनियमितता व लापरवाही की न्यायिक जांच कराने के मांग

अनपरा’डी’ में प्रोटेक्शन सिस्टम पर भी सवाल उठते रहे हैं लेकिन इसे ठीक करने के लिए कोई कार्यवाही नहीं की गई

अनपरा-ओबरा में होने वाले हादसों पर विभागीय जांच भी कराई गई हैं लेकिन इसमें लीपापोती कर हर बार उच्च प्रबंधन को बरी कर रस्म अदायगी की जाती है।

अनपरा सोनभद्र।प्रदेश की अति महत्वपूर्ण 2630 मेगावाट क्षमता की अनपरा तापीय परियोजना में आये दिन हो रही दुर्घटनाओं, उत्पादन ठप होने को हम पुनः आपके संज्ञान में लाना चाहते हैं। उक्त आशय की जानकारी देते हुये दिनकर कपूर ने बताया कि कल अनपरा’डी’ के सातवीं ईकाई के जनरेटर एक्साइटर में हुए ब्लास्ट में चार अभियंता बुरी तरह से जख्मी हो गए हैं। यह सिर्फ संयोग रहा कि इस भीषण हादसे की चपेट में आने से वहां मौजूद अन्य तमाम अभियंता व कर्मचारी किसी तरह बच गए। दरअसल अनपरा’डी’ परियोजना के निर्माण के दौरान ही कार्यदायी संस्था भेल व उच्च प्रबंधन पर सवाल उठते रहे हैं। निर्माण में घोर लापरवाही व भ्रष्टाचार का आलम यह रहा है कि निर्माधीन चिमनी को दो बार तोड़ कर बनाना पड़ा था। गौरतलब है कि प्रस्तावित अनपरा’सी’ को निजी क्षेत्र को देने के फलस्वरूप अनपरा’डी’ को ऐश डैम पर बनाया गया है, शुरू से ही पब्लिक सेक्टर की परियोजना को ऐश डैम पर बनाने पर कारपोरेट घरानों को तरजीह देने के आरोप लगता रहा है। दरअसल ऐश डैम पर बनाने के चलते न सिर्फ इसमें करीब दुगना से बजट आया बल्कि 3 साल का अतिरिक्त समय भी लगा। यह भी आरोप लगता रहा है कि ऐश डैम पर परियोजना निर्माण लायक आधुनिक तकनीक उस स्तर की नहीं है कि इसकी सफलता असंदिग्ध हो। बावजूद इसके खाली पड़ी जमीन को जिसमें 1200 करोड़ की कामन आक्जरली बनी थी उसे मुफ्त में लैंको को दे दिया गया। अनपरा’सी’ के निजीकरण के खिलाफ आंदोलन के दरम्यान ही कर्मचारियों ने ऐश डैम पर सार्वजनिक क्षेत्र के प्लांट लगाने का विरोध इन्हीं आशंकाओं के चलते किया था, जिसे तत्कालीन सरकार ने दरकिनार कर दिया।
अनपरा’डी’ में प्रोटेक्शन सिस्टम पर भी सवाल उठते रहे हैं लेकिन इसे ठीक करने के लिए कोई कार्यवाही नहीं की गई। बार-बार उच्च प्रबंधन व शासन-प्रशासन को पत्रक भेजा गया बावजूद इस परियोजना में सुरक्षा मानकों का अनुपालन सुनिश्चित न करने, उच्च प्रबंधन द्वारा मनमाने तरीके से अभियंताओं की नियुक्ति, अनुभवी मजदूरों को छंटनी व भारी कमी, संसाधनों के अभाव में मशीनों के समुचित रख रखाव न होने और भ्रष्टाचार के चलते आये दिन हादसे होते हैं और तकनीकी खराबी आना आम बात है।
बेहद कष्ट के साथ कहना है कि इसी तरह के हादसे के बाद अनपरा दौरे पर आपने सुरक्षा मानकों के अनुपालन कराने सुनिश्चित कराने का भरोसा देते हुए लापरवाही बरतने वाले प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करने और भविष्य में ऐसे हादसों की पुनरावृत्ति को हरहाल में रोकने के लिए जरूरी कदम उठाने के आदेश जारी किए थे। यहीं नही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इन परियोजनाओं में सुरक्षा मानकों को कडाई से लागू करने के लिए आदेश दिया था। बावजूद इसके लापरवाही बरतने वाले प्रबंधन से जुड़े जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं की गई। अभी हाल ही में इलेक्ट्रिशीयन व ठेका मजदूर यूनियन के जिलाध्यक्ष तेजधारी गुप्ता कार्य के दौरान हुए हादसे में उनकी जान जाते हुए बची। बार-बार होने वाली दुर्घटनाओं व तकनीकी खराबी आने से बिजली उत्पादन पर भी विपरीत असर होता है और भारी राजस्व क्षति प्रदेश को उठाना पड़ता है।
इसी तरह के हादसे ओबरा तापीय परियोजना में भी होते रहे हैं। अनपरा-ओबरा में होने वाले हादसों पर विभागीय जांच भी कराई गई हैं लेकिन इसमें लीपापोती कर हर बार उच्च प्रबंधन को बरी कर रस्म अदायगी की जाती है। इसलिए कल हुए हादसे और अनपरा’डी’ के निर्माण में हुए भारी अनियमितता व लापरवाही की न्यायिक जांच अथवा किसी स्वतंत्र संस्था से उच्च स्तरीय जांच कराई जाये।

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