यूं ही ईशा ने अपनी मां को नहीं कहा ‘टाइगर मॉम’, 23 साल की उम्र में डॉक्टरों ने नीता अंबानी को कह दिया था कि वे कभी मां नहीं बन सकतीं, शादी के 7 साल तक सूनी थी गोद, फिर एक दोस्त मिलीं और बदल गई नीता की जिंदगी

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हेल्थ डेस्क। रिलायंस फाउंडेशन की चेयरपर्सन होने के साथ ही नीता अंबानी तीन बच्चों की मां भी हैं। नीता अंबानी अपने बच्चों के लिए किसी टीचर से कम नहीं। उन्होंने बच्चों के बचपन से ही उन्हें एक सख्त अनुशासन में ढाला है। सही समय पर खाना, पूरी इमानदारी से पढ़ाई करना और खेलने के लिए भी समय निकालना। ये सभी चीजें नीता ने बच्चों से फॉलो करवाईं। नीता अंबानी के लिए मां बनना भी आसान नहीं रहा। 23 साल की उम्र में उन्हें डॉक्टरों ने कह दिया था कि वे कभी मां नहीं बन सकेंगी। 2011 में दिए एक इंटरव्यू में नीता अंबानी ने खुद अपने इस दर्द को बयां किया था।

उनके दो जुड़वा बच्चे (ईशा और आकाश) सरोगेसी के जरिए पैदा हुए हैं। इसमें उनकी पुरानी दोस्त डॉ फिरुजा पारिख ने उनकी मदद की। इसके तीन साल बाद उन्होंने अनंत अंबानी को बिना किसी तकनीक की मदद लिए जन्म दिया। इस दौरान उनका वजन लगभग दोगुना हो गया था। वे 47 से 90 किलो पर पहुंच गई थीं, लेकिन डेली एक्सरसाइज और डाइट के चलते उन्होंने 58 किलो तक वजन कम कर लिया और खुद को एक बार फिर पहले जैसा कर डाला। अब कुछ ही दिनों पहले ईशा अंबानी ने एक इंटरव्यू में उनकी मां को टाइगर मॉम कहा है। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे माता-पिता ने शादी के 7 साल बाद हमको पाया। जानिए आखिर क्या होता है आईवीएफ ट्रीटमेंट? जिसके जरिए नीता अंबानी मां बनी थीं।

जानिए आखिर क्या होता है आईवीएफ ट्रीटमेंट

क्या है आईवीएफ?
आईवीएफ यानी इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (In Vitro Fertilization)सबसे प्रभावी फर्टिलिटी ट्रीटमेंट है। यह ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एग और स्पर्म को शरीर के बाहर यानी लैब में फर्टिलाइज किया जाता है। यह उन कपल्स के लिए सबसे सुरक्षित और प्रभावी उपचार है जो अपनी इनफर्टिलिटी प्रॉब्लम की वजह से माता-पिता नहीं बन सकते। इसमें प्राय: कपल के ही एग और स्पर्म का यूज किया जाता है। हालांकि जरूरत पड़ने पर डोनर एग या स्पर्म भी यूज किए जा सकते हैं। बोलचाल की भाषा में इसे टेस्ट ट्यूब बेबी टेकनीक भी कहते हैं।

आईवीएफ किन लोगों के लिए यूजफुल है?
– जिन महिलाओं की फैलोपिन ट्यूब ब्लाक होती हैं। फैलोपिन ट्यूब से ही फर्टिलाइज्ड अंडा गर्भाशय में जाता है। ईवीएफ टेकनीक में ट्यूब की जरूरत नहीं होती। लैब में निर्मित भ्रूण को सीधे ही गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है।
– जिन महिलाओं के अंडों की क्वालिटी खराब होती है। ऐसे में उस महिला के बेस्ट अंडे को चुनकर उसे फर्टिलाइज किया जा सकता है या फिर डोनर एग्स भी लिए जा सकते हैं।
– स्पर्म की संख्या कम हो या उनमें मोबेलिटी न हो। स्पर्म में मोबेलिटी नहीं होने से वे अंडे को फर्टिलाइज नहीं कर पाते। ऐसे में बेस्ट स्पर्म का सिलेक्शन करके अंडे को फर्टिलाइज किया जा सकता है। सारे ही स्पर्म खराब होने पर कपल के पास डोनर स्पर्म का ऑप्शन भी होता है।

आईवीएफ से पहले किस बात का ध्यान रखा जाता है?
– महिला के शरीर में विटामिन-डी कमी तो नहीं है। ऐसा होने पर आईवीएफ फेल हो सकती है।
– महिला की थाइराइड रिपोर्ट खराब तो नहीं है। नहीं तो आईवीएफ फेल हो सकती है।
– पति की शुगर आउट ऑफ कंट्रोल तो नहीं है। शुगर ज्यादा होने पर आईवीएफ फेल हो सकती है।
– पति के स्पर्म काउंट बहुत कम या स्पर्म की क्वावालिटी बहुत खराब तो नहीं है। नहीं तो आईवीएफ फेल हो सकती है।
– महिला के गर्भाशय में कोई प्रॉब्लम तो नहीं है। अन्यथा आईवीएफ फेल हो सकती है।

क्या फर्टिलिटी ट्रीटमेंट का आईवीएफ लास्ट ऑप्शन होता है?
नहीं। लेकिन यह बेस्ट ऑप्शन है। यह प्योर सांइटिफिक है। इसकी सक्सेस रेट अन्य ट्रीटमेंट की तुलना में कहीं ज्यादा है। यह सबसे सुरक्षित भी है। इसमें फर्टिलाइजेशन की केवल प्रोसेस लैब में होती है। भ्रूण का पूरा विकास मां के पेट में होता है। इससे महिला को मां बनने की वही फीलिंग होती है, जो नैचुरल तरीके से मां बनने में होती है।

क्या आईवीएफ से पैदा हुआ बच्चा नॉर्मल होता है?
आईवीएफ टेकनीक द्वारा पैदा बच्चे उसी तरह होते हैं, जैसे कि सामान्य प्रेग्नेंसी के जरिए पैदा होते हैं। अब तक पूरी दुनिया में 5 करोड़ से भी ज्यादा बच्चे आईवीएफ के जरिए पैदा हो चुके हैं।

भ्रूण का गर्भाशय में ट्रांसफर कब किया जा सकता है?
अंडों को महिला के शरीर से निकालने के 5 दिनों के भीतर भ्रूण को गर्भाशय में ट्रांसफर करना होता है। पांचवें दिन पर जो भ्रूण बनता है, उस स्टेज को ब्लास्टोसिस्ट (Blastocyst)कहते हैं। इस स्टेज में भ्रूण सबसे बेहतर स्थिति में होता है। तब भ्रूण के जीवित रहने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए अगर कोई और कॉप्लिकेशन नहीं होता है तो आईवीएफ टेकनीक में भ्रूण पांचवें दिन ही ट्र्रांसफर किया जाता है।

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Nita Ambani was told she could never be a mother

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